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पर्यावरण से जुड़ स्वयं को सशक्त करें महिलाएं : डॉ. अमित कौर

महिलाएं ही जल बचाने में सबसे बड़ी सहयोगी हो सकती हैं। वर्तमान में घर पर ही सबसे अधिक पानी

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 03:01 AM (IST)
पर्यावरण से जुड़ स्वयं को सशक्त करें महिलाएं : डॉ. अमित कौर
पर्यावरण से जुड़ स्वयं को सशक्त करें महिलाएं : डॉ. अमित कौर

महिलाएं ही जल बचाने में सबसे बड़ी सहयोगी हो सकती हैं। वर्तमान में घर पर ही सबसे अधिक पानी व्यर्थ में बहाया जाता है। उसको बचाने की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर है। महिलाएं अगर पानी बचाने का प्रयास करेंगी तो और अधिक सशक्त होंगी, इसलिए महिलाएं आगे आएं और पर्यावरण बचाने में अहम रोल अदा करें। महिलाएं अगर स्वयं इस प्रकार के कार्यो में भाग लेंगी, तो निश्चित तौर पर भविष्य के लिए पानी बचाने में हम सफल होंगे, क्योंकि अगर भविष्य बचाना है, तो जल बचाना जरूरी है।

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डॉ. अमृत कौर पूरी,

वैज्ञानिक, आइसीएस, नई दिल्ली

फोटो संख्या- 26

कपड़े धोने से लेकर रसोई तक में रखें ध्यान

घरों में पानी की खपत लगातार बढ़ रही है। कपड़े धोने से लेकर नहाने और रसोई में बेतहाशा पानी खर्च हो रहा है, जिसे कम किया जा सकता है। बस जरूरत है, तो महिला के प्रयास करने की। बड़ा कार्य नहीं है, लेकिन बड़ा फायदा समाज और आने वाले पीढि़यों को हो सकता है। जैसे बच्चों को समझाएं कि ब्रश करते समय नल बंद रखें, हाथ धोने के लिए साबुन लगाते समय और बर्तनों में साबुन लगाते समय नल बंद रखें। कपड़े धोते हुए लगातार पानी को न बहाएं।

उमा सुधा

अध्यक्ष, नगर परिषद कुरुक्षेत्र।

फोटो संख्या- 27

वर्तमान शिक्षित से ज्यादा बुद्धिमान थे हमारे बुजुर्ग

वर्तमान में ज्यों-ज्यों शिक्षा का प्रसार बढ़ रहा है, त्यों-त्यों लोग शहरों की ओर दौड़ रहे हैं और गांवों में पानी का संरक्षित रखने वाले जोहड़ों की स्थिति नाजुक हो गई है। हमसे कम शिक्षित माने जाने वाले हमारे बुजुर्गो ने पानी संरक्षित करने के लिए जोहड़ों के रूप में महत्वपूर्ण कार्य किया था, लेकिन हमारी पीढ़ी ने सब बर्बाद कर दिया है। गांव में आज जो जोहड़ हैं, उनमें गंदा पानी भरा हुआ है। इससे भी बुरी हालत शहरों की है। जहां लगातार भूमिगत पानी नीचे जा रहा है, लेकिन कोई उसे बचाने का प्रयास नहीं कर रहा है।

जयभगवान ¨सगला,

संस्थापक, प्रेरणा वृद्धाश्रम।

फोटो संख्या- 28

विकास के बजाय कर रहे हैं जल बचाने की बात

आज जब पूरा विश्व विकास की बात करता है, तो भारत के अग्रणी राज्यों में शुमार हरियाणा में रहकर हमें जल बचाने का संदेश देना पड़ रहा है। यह हर व्यक्ति को बहुत पहले सोचना चाहिए था और अब तक पूरा सिस्टम तय होना चाहिए था। हमारे पास परचूर मात्रा में पानी है, फिर भी हमने उसे समाप्त कर दिया तो सोचें कि हमने कितनी बड़ी गलती की होगी।

मोनिका भारद्वाज,

पर्यावरणविद सदस्य, ग्रीन अर्थ संस्था।

फोटो संख्या- 29

दैनिक जागरण लगातार कर रहा सामाजिक मुद्दों पर काम

दैनिक जागरण ने समाजहित में सात सरोकारों को आत्मसात किया है। जिसे अन्य बड़ी कंपनियों की तरह केवल कागजों तक सीमित नहीं किया गया है। लगातार समाजसेवा में कार्यरत दैनिक जागरण की ओर से इस बार जल संरक्षण को उठाया है। उससे लोगों को फायदा होगा। इससे पानी बचाने के साथ ही दैनिक जागरण की साख भी बढ़ना तय है। हमें ऐसे कार्यक्रमों से हमेशा कोई न कोई समाजसेवा का प्रण लेना होगा, तभी हम आने वाली पीढि़यों को स्वच्छ समाज के साथ ही स्वच्छ पर्यावरण देने में सफल होंगे।

राजेश ¨सगला,

संरक्षक, वी विद यू फाउंडेशन।

फोटो संख्या- 42

सभी मिलकर करें यह प्रयास

जल नहीं तो कल नहीं है। भविष्य के लिए जल बचाना अनिवार्य है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए। सबसे बड़ी जिम्मेदारी युवाओं की है। अगर भविष्य का निर्माण करना है, तो जल बचाने का प्रयास करें। दैनिक जागरण ने बेहतरीन प्रयास किया है।

धीरज गुलाटी,

सदस्य, लायंस क्लब।

फोटो संख्या- 41

जल बचाने के बारे में बच्चों को दें शिक्षा

बच्चे कल का भविष्य हैं और वे अगर जल की महत्ता का समझेंगे तो निश्चित रूप से हम जल बचाने में सक्षम होंगे। इसलिए बच्चों को जल बचाने के लिए शिक्षित करना अनिवार्य है।

मुनीष मित्तल,

महासचिव, वी विद यू फाउंडेशन।


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