हरियाली अमावस्या पर पूजा करने से मिलती सुख-समृद्धि
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रावण माह के अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रावण माह के अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार सावन में प्रकृति पर आई बहार का प्रतीक है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रकृति के करीब लाना है। आज छायादार और फलदार पौधे लगाकर वातावरण को शुद्ध बनाने का विशेष फल प्राप्त होता है। इस बार रविवार यानी 23 जुलाई को पुनर्वसु नक्षत्र, व्रज योग और कर्क राशि में चंद्रमा में यह त्योहार पड़ रहा है, जिसका विशेष फल साधकों को मिलेगा। कुछ स्थानों पर इस दिन पीपल की पूजा कर उसके फेरे लगाए जाते हैं और मालपुए का भोग लगाया जाता है।
पिपली के श्री दुर्गा देवी मंदिर के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्र ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है। इसी प्रकार आंवले के पेड़ में लक्ष्मीनारायण का वास होता है। आज पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और पौधे लगाए जाते हैं, ताकि पर्यावरण शुद्ध हो सके। इस दिन कई गांवों में मेले का भी आयोजन होता है। उसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
समस्याओं से पा सकते निजात
हरियाली अमावस्या के दिन सूरज ढलने के बाद खीर बनाएं और उसे शिव जी को चढ़ाएं।
-शाम को घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल के दीपक जलाएं।
-इस दिन हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही लाल फूल चढ़ाएं, इससे धनलाभ होगा।
-शाम को आखिरी रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं। इससे शानि दोष दूर होता है और साथ ही आपके घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहेगी।
-अमावस्या की रात को तुलसी के सामने सरसों का तेल जलाने से धन लाभ होगा।