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1989 में पिता ने NDA में किया था टॉप, अब 2019 में बेटा बना UPSC का यंगस्ट उम्मीदवार

पिता कर्णवीर ग्रेवाल ने NDA की परीक्षा में एकेडमिक सेशन में टॉप किया था आज उनके बेटे विक्रम ग्रेवाल ने UPSC की परीक्षा में यंगस्ट उम्मीदवार बनकर 51वां रैंक हासिल किया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 09:04 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 08:50 PM (IST)
1989 में पिता ने NDA में किया था टॉप, अब 2019 में बेटा बना UPSC का यंगस्ट उम्मीदवार
1989 में पिता ने NDA में किया था टॉप, अब 2019 में बेटा बना UPSC का यंगस्ट उम्मीदवार

जेएनएन, कुरुक्षेत्र। 1989 में हरियाणा के लाल कर्णवीर ग्रेवाल ने NDA की परीक्षा में एकेडमिक सेशन में टॉप किया था, आज उनके बेटे विक्रम ग्रेवाल ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में यंगस्ट उम्मीदवार बनकर 51 वां रैंक हासिल किया है। विक्रम ग्रेवाल की इस उपलब्धि से परिजन गदगद हैं।

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19 नवंबर 1996 को जन्मे विक्रम ने 21 साल की आयु पूरी होते ही UPSC के लिए आवेदन किया था। जब विक्रम ने इसके लिए आवेदन किया था, तब उसका ग्रेजुएशन परीक्षा परिणाम भी घोषित नहीं हुआ था। पहले ही प्रयास में विक्रम ने UPSC की परीक्षा में 51वां रैंक हासिल कर अपनी काबलियत को साबित कर दिया है। दादा को जब पोते की इस उपलब्धि का पता चला तो वह सड़क बीच खड़े होकर ही अपने दोस्त के गले लगकर रो पड़े।

इस उपलब्धि के बाद से विक्रम ग्रेवाल के दादा ईश्वर सिंह और दादी ओमपति ग्रेवाल को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। दादा-दादी का कहना है कि विक्रम ग्रेवाल जब भी घर आता था तो घंटों पढ़ाई के बारे में ही बात करता था। विक्रम के दादा ने बताया कि वह मूल रूप से भिवानी के गांव बामला के रहने वाले हैं।

विक्रम के परदादा 95 वर्षीय नफे सिंह भी अपने परपौत्र की इस उपलब्धि पर गदगद हैं। विक्रम के दादा ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरणा लेकर उन्होंने जीवनभर कार्य किया है। उनके घर में बचपन से ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर लगी है। पूरे घर में नेताजी के अलावा किसी और की तस्वीर नहीं है। वह नेता जी को अपना आदर्श मानते हैं।

दूसरी कक्षा में दादा ने जो राह दिखाई उसी मिली कामयाबी

विक्रम ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में बताया कि उनके पिता सेना में अधिकारी हैं। ऐसे में उनके तबादले ज्यादा होते हैं। ऐसे मेें जब वह कक्षा दो में थे तब दो साल दादा-दादी के साथ करनाल में रहे हैं। उन दो सालों ने जैसे उनका जीवन ही बदल दिया था। उनके दादा जी उन्हें उस समय जो राह दिखाई वही राह उन्हें आज इस ऊंचाई पर ले आई है।

आज भी Mobile नहीं रखता विक्रम

विक्रम ने कहा कि वह Mobile नहीं रखते हैं। Mobile से समय की बर्बादी होती है। अगर किसी परिजन को विक्रम से बातचीत करनी होती तो वह उनकी माता के Mobile पर ही फोन करता था। UPSC परीक्षा के लिए 18-18 घंटे तैयारी करनी होती है।

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