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थाना के असली ब्रह्मसरोवर की असलीयत से आज तक अनजान हैं लोग

रमेश गर्ग, पिहोवा : पिहोवा के गांव थाना में बना ब्रह्मसरोवर आज भी उपेक्षा का शिकार है। ह

By Edited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 03:05 AM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2017 03:05 AM (IST)
थाना के असली ब्रह्मसरोवर की असलीयत से आज तक अनजान हैं लोग
थाना के असली ब्रह्मसरोवर की असलीयत से आज तक अनजान हैं लोग

रमेश गर्ग, पिहोवा :

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पिहोवा के गांव थाना में बना ब्रह्मसरोवर आज भी उपेक्षा का शिकार है। हालांकि कई बार सरकारों द्वारा इसके जीणरेंद्धार की घोषणाएं की गई, लेकिन आज भी सरोवर की स्थिति ज्यों की त्यों है। ग्रामीणों का दावा है कि गांव में बना सरोवर ही असली ब्रह्मसरोवर है। हालांकि कुरुक्षेत्र का ब्रह्म सरोवर सूर्यग्रहण मेले के लिए विश्व विख्यात है और यहीं गीता जयंती महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हजारों फुट की लंबाई-चौड़ाई वाले इस सरोवर के समान कोई अन्य सरोवर नहीं है। थाना गांव के ग्रामीणों का कहना है कि असली ब्रह्म सरोवर उनके गांव थाना में स्थित है। दिलचस्प बात यह है कि पुराने रिकार्ड के अनुसार कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्म सरोवर का नाम पावन सरोवर है।

ग्रामीण महेंद्र कुमार, ईश्वर, शमशेर व पवन सहित अन्य ग्रामीणों ने दावा किया है कि असली ब्रह्म सरोवर गांव थाना में स्थित है और कुरुक्षेत्र में स्थित ब्रह्मसरोवर कल्पित सरोवर है। ग्रामीणों ने दावा करते हुए कहा कि गांव थाना में लगभग 105 एकड़ में फैला विशाल तालाब वास्तव में असली ब्रह्म सरोवर है। लगभग 50 वर्ष पहले पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा गांव में आए थे और ब्रह्म सरोवर का निर्माण करने की बात कही ग्रामीणों के समक्ष रखी, लेकिन उस समय तालाब ग्रामीणों के पशुओं की आराम स्थली थी व पशुओं के नहाने का स्थान बना हुआ था। इसलिए ग्रामीणों ने उस समय ब्रह्मसरोवर के निर्माण का पुरजोर विरोध किया। इस बात से खफा तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर के निर्माण की बात कहकर चले गए। कुछ समय बाद कुरुक्षेत्र में सरोवर का निर्माण किया गया और ब्रह्म सरोवर के रूप में इसका नामकरण कर दिया गया। गुर्जर महासभा के प्रदेशाध्यक्ष रामरतन कटारिया ने भी दावा करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र व पृथुदक तीर्थ की भौगोलिक स्थिति के अनुसार भी ब्रह्म सरोवर का स्थान गांव थाना में है। वर्तमान ब्रह्मसरोवर का नाम 1923 तक मुगलपुरा दराखेड़ा लिखा गया है। वहीं पुराने इतिहासकार दयाली राम चोपड़ा पटियाला व बंसत लाल ठेकेदार फि रोजपुर की पुस्तकों में भी इस बात का वर्णन है कि असली ब्रह्म सरोवर गांव थाना में है। गांव के नामकरण के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस गांव का प्राचीन नाम ब्रह्म स्थान था, जो कालांतर में बिगड़ कर थाना बन गया है। उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान यहां से 70 सेमी लंबाई-चौड़ाई की ईंटें मिली थी जो आज भी गुर्जर धर्मशाला में सुरक्षित है।

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अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है तीर्थ

ग्रामीण म¨हद्र ¨सह ने बताया कि गांव में बने सरोवर की वास्तविकता में काफी महत्व है, लेकिन फिर भी यह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है। कई बार ग्रामीणों द्वारा इसके जीर्णोद्धार के लिए मांग रखी गई। कभी भी इसका सुधार नहीं हो सका। इस बार भी सीएम ने इसके जीर्णोद्धार के लिए घोषणा तो की है, लेकिन जब तक इसका विकास नहीं होता तब तक सब कुछ महज दिखावा है। गांव ही सिर्फ एक ही अहम मांग है फिर भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता।

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जीर्णोद्धार के लिए तैयार है प्रपोजल सरपंच

गांव की सरपंच शारदा कौशिक पति वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि गांव में ही असली ब्रह्मसरोवर है, जोकि रिकॉर्ड में है। इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रपोजल तैयार किया गया है, जिसमें तालाब के पास हर्बल पार्क, इसकी चारदीवारी व अन्य सुविधाएं की जाएंगी। इसके लिए विकास के लिए सीएम द्वारा भी घोषणा की जा चुकी है। उम्मीद है कि जल्द ही गांव के इस सरोवर के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया जाएगा।

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जीर्णोद्धार कराया जाए

गांव थाना के इतिहास से लोग पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। केडीबी द्वारा इस स्थान का जीर्णोद्धार कराया जाए। पिहोवा से लेकर गांव तक संकेतक तक लगाए जाएं ताकि पर्यटक आसानी से इस तीर्थ तक पहुंच सकें। केडीबी को तीर्थ की महत्ता के बोर्ड भी पिहोवा में लगाने चाहिए ताकि सभी लोगों को इसकी जानकारी मिल सके।

-राजेश गोयल

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केडीबी कर रहा अनदेखी

गांव थाना का ऐतिहासिक महत्व है, मगर केडीबी यहां स्थित तीर्थ की अनदेखी कर रहा है। पिहोवा भ्रमण करने पहुंचने वाले पर्यटक केवल सरस्वती तीर्थ का ही अवलोकन कर चले जाते हैं, क्योंकि दूसरे स्थानों की उन्हें जानकारी नहीं है। केडीबी को चाहिए कि सरस्वती तीर्थ पर पिहोवा के गांवों में स्थित सभी तीर्थों के बोर्ड सरस्वती तीर्थ पर लगाए ताकि पर्यटक आसानी से अन्य तीर्थों का अवलोकन कर सकें।

-दीपक गर्ग


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