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कंप्यूटर साइंस में एमटेक जैविक खेती को दे रही बढ़ावा

वेदपाल, कुरुक्षेत्र : कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई के साथ जैविक खेती करना सुनने में भले ही

By Edited By: Published: Sun, 12 Feb 2017 01:15 AM (IST)Updated: Sun, 12 Feb 2017 01:15 AM (IST)
कंप्यूटर साइंस में एमटेक जैविक खेती को दे रही बढ़ावा
कंप्यूटर साइंस में एमटेक जैविक खेती को दे रही बढ़ावा

वेदपाल, कुरुक्षेत्र :

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कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई के साथ जैविक खेती करना सुनने में भले ही अटपटा लगे, मगर यही सच्चाई है। जी हां, एमटेक कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर ही उर्वशी जैविक खेती को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। महिलाओं को किचन गार्डन से लेकर किसानों को जैविक खेती करने के प्रति जागरूक कर रही हैं। किसान मेले व प्रदर्शनी में जैविक उत्पादों के जरिये किसानों को जैविक खेती की ओर अग्रसर होने का भी संदेश दे रही है।

लाडवा खंड के गांव मेहरा में अपने पिता राजकुमार आर्य के साथ वर्ष 2014 में उर्वशी ने जैविक खेती के कार्य में हाथ बंटाना शुरू किया। शुरूआती दौर में उसने उत्पादों की जानकारी जुटाई। लिहाजा कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के साथ जैविक खेती की रुचि में सामंजस्य बैठाने में थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन अब वह खुद ही उत्पाद तैयार करने में अपने पिता की मदद कर रही है।

वे बताती हैं कि वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग से एमटेक की पढ़ाई कर रही है। फिलहाल वह प्रथम वर्ष में है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उसका लक्ष्य जैविक खेती को आगे बढ़ाना है ताकि जैविक उत्पाद के जरिये लोगों को संजीवनी दी जा सके। रासायनिक खादों के इस्तेमाल और नई कृषि तकनीकों के बूते पैदावार जरूर बढ़ रही है, मगर इसका लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर भी पड़ रहा है। भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है तो लोग बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

प्रदेश सरकार का सराहनीय कदम

उर्वशी का कहना है कि सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कदम उठाया है। किसानों को प्रतिवर्ष 6500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान देने की योजना से किसान जैविक खेती करने के प्रति आकर्षित होंगे। सरकार ने 10 प्रतिशत भूमि पर जैविक खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे पूरा करने में किसानों को सहयोग देना चाहिए।

ये उत्पाद किए जा रहे हैं तैयार

उर्वशी का कहना है कि जैविक उत्पाद पूर्ण रूप से संतुलित हैं। गांव में सब्जियों से लेकर गेहूं व धान पैदा किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त शुगर फ्री गुड़ भी तैयार किया जा रहा है। जैविक उत्पाद लोगों को अच्छे खासे पसंद आ रहे हैं।

मार्के¨टग में परेशानी

जैविक उत्पादक स्वास्थ्यवर्धक हैं, लेकिन ये आमजन तक पहुंच पा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण मार्के¨टग न होना है। सरकार को चाहिए कि जैविक उत्पादों की नियमित उत्पादों की तर्ज पर मंडी बनाई जाए, जिससे लोग आसानी से जैविक उत्पादक खरीद सकें।


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