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यूनिवर्सिटी कॉलेज की साख पर बनी, आधे रह गए आवेदन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रदेश में दाखिले के मामले में सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में शुमार

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 01:00 AM (IST)
यूनिवर्सिटी कॉलेज की साख पर बनी, आधे रह गए आवेदन
यूनिवर्सिटी कॉलेज की साख पर बनी, आधे रह गए आवेदन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रदेश में दाखिले के मामले में सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में शुमार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज से प्रदेश के विद्यार्थियों का मोह भंग होता दिख रहा है। इस बार यूनिवर्सिटी कॉलेज में आए स्नातक के आवेदनों यह खुद बता रहे हैं। पिछले वर्षो की तुलना में इस वर्ष यूनिवर्सिटी कॉलेज में आवेदनों की संख्या आधी रह गई। पिछले वर्ष 1135 सीटों के लिए 12 हजार आवेदन आए थे जबकि इस 6910 रह गए।

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कुवि स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज को भले ही प्रदेश सरकार ने शिक्षण संस्थान का दर्जा देने का फैसला कर दिया हो और विश्वविद्यालय भी एनआरएफ में देश में 95वां रैंक हासिल कर अपनी पीट थपथपा रहा हो, लेकिन प्रदेश में स्नातक में मुख्य माने जाने वाले यूनिवर्सिटी कॉलेज की साख पर बन आई है। अब तक प्रदेश भर से छात्र कॉलेज में दाखिला के सीटों से दस गुणा तक आवेदन करते थे। इस बार कॉलेज में अचानक आवेदकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। पिछले वर्ष प्रदेश भर से 12 हजार छात्रों ने आवेदन किया था। जो घटकर इस बार 6 हजार 910 तक सिमट गई है।

सबसे ज्यादा असर बीएससी पर

इस बार आवेदन कम होने का असर सबसे अधिक बीएससी पर दिखा है। अमूमन काले में बीएससी के लिए चार हजार से अधिक आवेदन आते थे, लेकिन इस बार लगभग 1900 आवेदन ही आए हैं।

पिछले दो वर्षों से बेहतरीन छात्रों के आने के कारण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की मेरिट की बात करें तो वह 100 प्रतिशत को भी पार कर रही थी। बीए, बीकाम और बीएससी में सबसे अधिक मेरिट जाती थी। दो वर्षों से यूनिवर्सिटी कॉलेज में बीकॉम की मेरिट सूची 108 प्रतिशत से, बीएससी की 102 से और इतने से ही बीए शुरू हुई थी। इसके अलावा पिछले वर्ष बीएससी में सामान्य श्रेणी में 96 प्रतिशत पाने वाले छात्रों के ही दाखिले हो पाए थे। वहीं स्नातक की सूची भी 76 प्रतिशत तक ही न्यूनतम पहुंच पाई थी।

दिखेगा मेरिट पर असर

इस बार इसका असर सीधे तौर पर मेरिट पर दिखेगा। कॉलेज प्रशासन की ओर से मंगलवार को जांच कर मेरिट बनाने के लिए शिक्षकों को आवेदन दिए हैं। जिन्हें देखने के बाद लग रहा है मेरिट भी नीचे आ सकती है। आवेदनों की संख्या कम होने के बाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय लगभग 15 लाख रुपये का नुकसान भी हुआ है। जो प्रति आवेदन 300 रुपये में बेचकर महाविद्यालय कमा रहा था।

ज्यादा शिक्षण संस्थानों के कारण हुआ ऐसा

कुवि प्रवक्ता प्रो. तेजेंद्र शर्मा का कहना है कि शिक्षण संस्थानों की संख्या में लगातार तेजी के कारण ऐसा हुआ है। छात्र अपने नजदीक के संस्थान में दाखिला ले सकता है। इसके अलावा उच्च शिक्षा विभाग की एक साथ प्रदेश के सभी कॉलेजों में ऑनलाइन आवेदन कराने के कारण छात्र उलझ सकते हैं। जबकि यूनिवर्सिटी कॉलेज इस प्रक्रिया से बाहर था।


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