नए अध्यायों का सूत्रपात करें विद्यार्थी: डीसी
जागरण संवाददाता, करनाल : समर स्कूल बच्चों को प्रेरक और नई सीख देने के लिए एक सुनहरा अव
जागरण संवाददाता, करनाल : समर स्कूल बच्चों को प्रेरक और नई सीख देने के लिए एक सुनहरा अवसर है। बच्चों को इस समर स्कूल से जो नई प्रेरणा मिली है, इसका भरपूर लाभ उठाने की जरूरत है। यहां से ली गई तकनीकी और बुनियादी सीख को अनुशरणीय सोच में बदलकर नए अध्यायों का सूत्रपात करने की जरूरत है। यह बात रविवार को उपायुक्त मंदीप ¨सह बराड़ ने रेलवे रोड स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय परिसर में सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया द्वारा गणित और विज्ञान विषय पर आधारित ग्रीष्म स्कूल के समापन पर कही। डीसी ने कहा कि समर स्कूल का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में छिपी प्रतिभा को निखारना और उनका मार्गदर्शन करना है। विद्यार्थियों को इस समर स्कूल से ज्ञान की जो नई अनुभूति हुई है। उसका प्रचार और प्रसार इस कदर किया जाए ताकि अन्य भी इससे लाभान्वित हो सके। यह एक अच्छा दौर होता है। जब विद्यार्थी कम समय में अधिक सीखने की कोशिश करते है। इस समर स्कूल में जो ज्ञान प्राप्त हुआ है। वह उज्जवल भविष्य को तराशने में मददगार साबित होगा। इसी सोच को आगे बढ़ाकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि काबलियत की कतई कमी नहीं होती, जरूरत इस बात की होती है कि वे एकाग्र होकर रूची अनुसार विषयों का अध्ययन करें। कुछ बच्चे साइंस और गणित में इतने निपुण नहीं होते, जितने होने चाहिए, लेकिन समर स्कूल से वे इस प्रकार की कमी को पूरा कर सकते है और कईयों ने ऐसा किया भी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस समर स्कूल में लड़कियों की हाजिरी बेहतरीन रही, वैसे भी लड़कियां शिक्षा के साथ-साथ हर क्षेत्र में लड़कों से आगे निकल रही है। डीसी ने आयोजकों की मांग पर कहा कि यदि आयोजक भविष्य में भी इस प्रकार का कोई स्कूल कार्यक्रम आयोजित करना चाहते है तो जिला प्रशासन उन्हें भरपूर सहयोग करेगा।इस मौके पर डीसी मंदीप ¨सह बराड़ को आयोजकों द्वारा स्मृति चिन्ह व मान सम्मान का प्रतीक शाल भेंटकर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर उपस्थित पूर्व मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष एसपीएसटीआइ धर्मवीर ने कहा कि कुछ विद्यार्थी गणित और साइंस जैसे विषयों को बोझ समझते है। इन विषयों को लेकर बच्चों में हीन भावना नहीं आनी चाहिए। साइंस और गणित विषय को दैनिक गतिविधियों से जोड़कर एक नये व्यक्तित्व की तलास करें। ऐसा व्यक्तित्व जो उनके जहन से निकलकर नए और उर्जावान विषय को परिभाषित करें। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक वर्ग को चाहिए कि वे बच्चों में नई प्रेरणा उजागर करने के लिए समर स्कूल जैसे कार्यक्रम आयोजित करें। इससे समाज, देश और स्वयं का भी भला होगा। अपना सुधार ही समाज की सबसे बड़ी सेवा है। उन्होंने बताया कि इस शिविर में नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों ने भाग लिया है। प्रदेश के विभिन्न जिलों गुड़गांव, कुरूक्षेत्र, मोर मंडी नारनौल, पंचकूला, पलवल, रेवाड़ी सहित अन्य जिलों के बच्चों ने भी भाग लिया। इस समर स्कूल में करनाल के करीब 110 बच्चों ने समर स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। यह शिविर 1 जून से शुरू हुआ था और रविवार 25 जून को समाप्त हो गया। समर स्कूल में बच्चों को पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर भी प्रोत्साहित किया गया। इस मौके पर सीएमजीजीए शिखा राणा, एनडीआरआइ के संयुक्त निदेशक आरआरबी ¨सह, देवराज सिरोहीवाल सहित काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।