हरियाणा की ट्रेनी पायलट हिमानी की विमान क्रैश होने से मौत
एयरक्राफ्ट हादसे में एक ट्रेनी पायलट की मौत हो गई। वह करनाल कुटेल गांव की रहने वाली थी और कोर्स पूरा होने से पहले अंतिम उड़ान पर थी।
जेएनएन, करनाल। महाराष्ट्र में बुधवार को क्रैश हुए प्लेन में सवार ट्रेनी पायलट हिमानी कल्याण की मौत से उसके पैतृक गांव कुटेल में हर कोई स्तब्ध है। बताया जाता है कि हिमानी दो साल से ट्रेनिंग ले रही थी और उसकी ट्रेनिंग की यह आखिरी उड़ान थी, लेकिन आखिरी उड़ान के साथ ही हिमानी की जिंदगी का भी अंत हो गया।
वीरवार दोपहर लगभग 1.30 बजे हिमानी का शव गांव कुटेल पहुंचा, जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। गांव की बेटी की मौत से हर किसी की आंखें नम थी। बता दें कि हिमानी मध्य प्रदेश मेंकेशनल फ्लाइंंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में ट्रेनी पायलट थी। उनके पिता गुरदयाल कल्याण भी दिल्ली इंडिगो एयरलाइन्स में काम करते हैं।
हिमानी का जन्म गांव कुटेल में गुरदयाल कल्याण के परिवार में हुआ था। इसके बाद से गुरदयाल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं, जबकि उनके बड़े भाई जसमेर व कृपाल ङ्क्षसह गांव कुटेल में ही रह रहे है। विमान हादसे में हिमानी की मौत की सूचना पर कुटेल में रह रहे परिवार में मातम छा गया। हिमानी की मौत पर हलका विधायक हरङ्क्षवद्र कल्याण ने भी गहरा शोक जताया है। हालांकि इलाके से बाहर होने के कारण वे हिमानी की शव यात्रा में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हिमानी के पायलट बनने पर गांव के साथ-साथ हरियाणा का भी नाम रोशन होता।
गहरे सदमे में परिवार : ताऊ जसमेर
हादसे को लेकर हिमानी के ताऊ जसमेर ङ्क्षसह ने बताया कि इस से उनके पूरे परिवार को गहरा धक्का लगा है। हिमानी से पूरे परिवार के सपने जुड़े हुए थे, लेकिन हिमानी की अचानक मौत से सारे सपने चूर-चूर हो गए है।
ट्रेनर के साथ भरी थी उड़ान
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के गोदिया के बिरसी हवाई अड्डे से बुधवार सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर ट्रेनी पायलट हिमानी कल्याण ने अपने ट्रेनर राजन गुप्ता के साथ उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के लगभग 15 मिनट बाद ही उनका एटीसी से संपर्क टूट गया और मध्यप्रदेश स्थित बालाघाट से 65 किलोमीटर दूर लावनी व महाराष्ट्र के देवरी गांव के बीच ट्रेनी एयरक्राफ्ट वैनगंगा नदी में क्रैश हो गया। इस हादसे में हिमानी व राजन गुप्ता की मौत हो गई। बता दें कि कामर्शियल पायलट के लाइसेंस के लिए कम से कम 200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव होना चाहिए और हिमानी 199 घंटे प्लेन उड़ाने का अनुभव ले चुकी थी, बस एक घंटा बाकी था और वह पायलट बन जाती।
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