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किसानों के लिए अच्छी खबर, सब सर्फेस ड्रिप इरीगेशन ट्रायल सफल, बचेगा 50 प्रतिशत तक पानी

सब सर्फेस ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से धान की खेती कर 50 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है। देश में पहली बार इस तकनीकी से खेती की जा रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 10:10 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 10:11 AM (IST)
किसानों के लिए अच्छी खबर, सब सर्फेस ड्रिप इरीगेशन ट्रायल सफल, बचेगा 50 प्रतिशत तक पानी
किसानों के लिए अच्छी खबर, सब सर्फेस ड्रिप इरीगेशन ट्रायल सफल, बचेगा 50 प्रतिशत तक पानी

करनाल [प्रदीप शर्मा]। करनाल स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान ने ऐसी विधि विकसित की है, जिसके जरिये धान की खेती कर 50 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है। इस विधि का नाम सब सर्फेस ड्रिप इरीगेशन (उप सतह टपका सिंचाई) है। यह तकनीक किसी संजीवनी से कम नहीं है और धान बहुल क्षेत्र में कारगर होगी। देश में पहली बार संस्थान में इससे खेती की जा रही है। खास बात यह है कि इससे पानी के साथ कृषि खर्च भी 20 प्रतिशत कम हो जाता है। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान व अंतरराष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केंद्र दिल्ली इस पर मिलकर काम कर रहे हैं।

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यह ड्रिप इरीगेशन का ही अत्याधुनिक वर्जन है। ड्रिप इरीगेशन में लाइनों को जमीन की सतह के ऊपर रखा जाता है और सिंचाई के बाद हटाना पड़ता है। इसमें लाइन जमीन की सतह से 15 सेंटीमीटर गहराई में बिछाई जाती है। धान और गेहूं की फसल लेनी है तो लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर होती है। मक्का और गेहूं की फसल लेनी है तो दूरी 65 सेंटीमीटर तक हो जाती है। जमीन के नीचे जो लाइन बिछाई जाती है, उसमें हर 20 सेंटीमीटर दूरी पर सिंचाई के प्वाइंट छोड़े जाते हैं।

साल में महज दो बार खेत जोतने की जरूरत

इस विधि में साल में महज दो बार खेत जोतने की जरूरत होती है। वह भी फसल पर निर्भर है। कई फसलों जैसे गेहूं व मक्का में इसकी भी जरूरत नहीं होती। सीएसएसएसआइ के प्रधान विज्ञानी एचएस जाट बताते हैं कि धान के क्षेत्र में विधि से प्रयोग शुरू कर दिया गया है। ट्रायल सफल रहा है। हम तीन साल से सब सर्फेस ड्रिप इरीगेशन पर काम कर रहे हैं। प्रयोग सफल रहा है। देश में पहली बार इस विधि से धान की खेती की जा रही है। संस्थान में प्रयोग कर रहे हैं। भविष्य में पानी की गंभीर चुनौतियों को देखते हुए यह तकनीक देश के लिए कारगर होगी। किसान इस विधि धान की खेती करेंगे तो पानी की बचत के साथ फायदा भी होगा। इससे कम खर्च में ज्यादा उत्पादन संभव है।


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