सरकार के फरमान से परेशान यमुना बेल्ट के किसान
जागरण संवाददाता, करनाल 15 जनू से पहले धान की रोपाई नहीं करने के फरमान ने यमुना बेल्ट
जागरण संवाददाता, करनाल
15 जनू से पहले धान की रोपाई नहीं करने के फरमान ने यमुना बेल्ट के किसानों के पसीने छुड़ा दिए हैं। धरतीपुत्र दुविधा में हैं धान की अगेती रोपाई करें तो कृषि विभाग नष्ट कर देता है बाद में फसल लगाएं तो बाढ़ कुछ नहीं छोड़ती। करीब छह एकड़ फसल को कृषि विभाग नष्ट करवा चुका है। 26 किसानों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। जिले में यमुना करीब 80 किलोमीटर तक लगती है। यमुना के साथ लगता सबसे अधिक रकबा इंद्री क्षेत्र में होने के कारण यहीं धान की अगेती रोपाई होती है। किसानों का तर्क है कि यदि वह समय से पहले धान नहीं लगाएंगे तो उनका नुकसान तय है। केवल गेहूं की एक फसल से परिवार का गुजारा चलाना मुमकिन नहीं है। वहीं कृषि विभाग का कहना है कि वह सरकार के नियमों से बंधे हैं। कृषि विभाग और बाढ़ की मार से बचने के लिए यमुना से सटे गांवों के किसानों ने अब प्रशासन से गुहार लगाने की ठानी है।
आज डीसी से लगाएंगे गुहार
कुंजपुरा गांव निवासी सतपाल, नसीरपुर गांव के सरपंच बलजीत, ऋषिपाल नसीरपुर व संजय, रामफल व कर्मबीर ने बताया कि बृहस्पतिवार को कई गांवों के किसानों के साथ वह डीसी मंदीप ¨सह बराड़ से मिलेंगे। उन्हें बताया जाएगा कि वह केवल धान की एक बार ही फसल लगाते हैं। बाढ़ के डर से अगेती रोपाई करना उनकी मजबूरी है। इसलिए यमुना बेल्ट के किसानों को नियमों में छूट दी जाए। हां यदि वह दोबारा धान लगाएं तो उनकी गलती है। बाढ़ से तबाह फसल का सरकार मुआवजा भी नहीं देती। 2013 में आई बाढ़ में नष्ट धान की फसल का आज तक कुछ नहीं मिला है।
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यमुना बेल्ट के किसानों को मिले छूट
कुंजपुरा निवासी किसान अमित सचदेवा ने कहा कि गिरते भू जल स्तर की उन्हें भी ¨चता है। लेकिन अगेती धान की रोपाई के अलावा उनके पास चारा नहीं है। कम से कम यमुना बेल्ट के किसानों को इस नियम में छूट जरूर मिले, ताकि वह अपने परिवार का गुजारा चला सकें।
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धान की अगेती रोपाई मजबूरी
किसान सतपाल ने बताया कि चकबढ़ी में वह खेती करते हैं। अधिकतर जमीन यमुना के बांध में होने के कारण धान की अगेती रोपाई उनकी मजबूरी है। खेत की परिस्थितियों के हिसाब से नियम में बदलाव आज समय की मांग है। उन्होंने समय से पहले धान नहीं लगाई तो उनके परिवार भूखे मर जाएंगे।
जिले के यह गांव यमुना से सटे
जिले के चौगामा, चंद्राव, बुर्ज, खड़पुर टापू, सैयद छपरा, जपती छपरा, डबकौली कलां, डबकौली खुर्द, शेरगढ़ टापू, कलसौरा, नबियाबाद, कुंडा कलां, नली खुर्द, गढ़ी बीरबल, ढाकवाला गुजरान व ढाकवाला रोड़ान के साथ ही कई अन्य गांवों की जमीन भी यमुना के साथ लगती है।
वर्जन
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यमुना के साथ लगते किसानों की दिक्कत वाजिब है। यदि वह लिखित में अपनी मांग रखते हैं तो इसे सरकार के पास भेज दिया जाएगा। जैसा सरकार का आदेश होगा उसी हिसाब से काम किया जाएगा। कृषि विभाग नियम के हिसाब से ही काम करेगा।
डॉ. प्रदीप मील, उप कृषि निदेशक, करनाल