ग्यारह साल बाद वन विभाग को मिली अपनी जमीन
जागरण संवाददाता, करनाल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद वन विभाग को करीब 11 साल बाद आखि
जागरण संवाददाता, करनाल
लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद वन विभाग को करीब 11 साल बाद आखिरकार अपनी जमीन मिल गई। कल्हेड़ी गांव में पांच एकड़ भूमि में अब पौधे लगाए जाएंगे। पुरानी पुंडरी ड्रेन के पास जमीन में वन विभाग पौधों के लिए बैड बनाकर पौधरोपण शुरू कर दिया है। ताकि लोगों को शुद्ध पर्यावरण मिल सके। अवैध कब्जा बनाए रखने के लिए किसानों ने इसमें धान की फसल लगा रखी थी। जिसे अब नष्ट किया जा रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस जमीन में करीब 1500 पौधे लगेंगे। इसमें फल व छायादार पौधे मिक्स होंगे। बता दें कि वर्ष 2006 से ही इस वन विभाग की इस जमीन पर कब्जे को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था। लोअर कोर्ट में हारने के बाद विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर की। जहां से इसे हाई कोर्ट भेज दिया गया। 11 साल बाद अखिरकार वन विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया गया।
पंचायत ने दिया पूरा साथ
विभाग को जमीन वापस दिलाने में कल्हेड़ी गांव की पंचायत ने पूरा साथ दिया। फैसले के बाद मार्च में भी वह कब्जा लेने के लिए गए थे, लेकिन किसानों ने गेहूं की फसल काटने तक का समय मांगा था। जो उन्हें दे दिया गया। लेकिन किसानों ने अब फिर से धान की फसल की रोपाई कर दी। इसलिए अब जेसीबी व दल बल सहित कब्जा लिया गया। पूरा काम शांतिपूर्वक हो गया और ग्रामीण विभाग की कार्रवाई में बाधा नहीं बने। हालांकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए विभाग पूरी तैयारी में था, लेकिन इसकी जरूरत ही नहीं पड़ी।
40 एकड़ जमीन पर फुरलक में कब्जा
फुरलक गांव में वन विभाग की करीब 40 एकड़ जमीन पर किसानों का अवैध कब्जा है। अधिकारी इसे छुड़वाने की फिराक में हैं। दिसंबर 2015 में वन विभाग कब्जा छुड़ाने के लिए पहुंचा था, लेकिन किसान गेहूं की फसल काटने की गुहार लगाने लगे। फसल के नाम पर अधिकारी ठिठक गए। समय मिलने पर किसान कोर्ट में चले गए और जमीन पर स्टे ले लिया। फिलहाल वन विभाग को कोर्ट के आर्डर का इंतजार है।
वर्जन
कल्हेड़ी गांव की पांच एकड़ जमीन से वन विभाग ने अवैध कब्जा छुड़वा लिया है। मार्च में हाई कोर्ट ने फैसला विभाग के पक्ष में सुनाया था। अब यहां पौधे लगाए जा रहे हैं। फुरलक की जमीन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए न्यायालय के आदेश का इंतजार है। लोगों से अपील है कि वह वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा नहीं करें।
विजेंद्र ¨सह, जिला वन अधिकारी, करनाल