ख्वाबों में सिटी बस, दूसरा टेंडर भी खाली
जागरण संवाददाता, करनाल कर्णनगरी के बा¨शदों को सिटी बस सर्विस के लिए अभी इंतजार करना
जागरण संवाददाता, करनाल
कर्णनगरी के बा¨शदों को सिटी बस सर्विस के लिए अभी इंतजार करना होगा। नगर निगम ने दो बार टेंडर आमंत्रित किए लेकिन किसी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। 20 अप्रैल के बाद अब 16 मई का टेंडर भी खाली निकलना तो सबके हाथ पांव फूल गए। बेबस अधिकारी टेंशन में हैं। एक तरफ सीएम की घोषणा और दूसरी तरफ बसें खरीदने के बनाए नियमों की उलझन। बात नहीं बनती देख शहर की सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए। अब सरकार को स्पेशल केस बनाकर भेजा गया है। इसमें मांग की गई है कि सरकार या तो खुद बस खरीदे या फिर नगर निगम की कमेटी को कंपनी की बजाय स्थानीय डीलर से इन्हें लेने की इजाजत दे। पहला टेंडर खाली मिलने के बाद आनन-फानन में निगम ने बस निर्माता कंपनियों से बैठक बुलाकर उनकी नब्ज टटौली थी। टाटा व स्वराज कंपनी के अधिकारियों ने बसों के डिजाइन में कुछ बदलाव की मांग की तो अधिकारियों ने उसकी भी हामी भर दी, लेकिन बावजूद इसके टेंडर खाली मिला।
दो साल से सिर्फ इंतजार
शहर में लोगों को यह सुविधा देने के लिए नगर निगम ने शुरुआत में छह एसी बसें चलाने का फैसला लिया था। कीमत एक करीब 1.32 करोड़ होने के कारण फाइल को मंजूरी के लिए चंडीगढ़ भेजा गया। यहां करीब एक साल तक फाइल धूल फांकती रही। मंजूरी मिली तो राज्य परिवहन विभाग ने राज्य परिवहन के उपक्रम को ही परमिट देने के नियम का हवाला देकर सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
बसों की खरीद में यह दिक्कत
बस निर्माता कंपनियों के अधिकारियों की मानें तो उन्होंने आज तक कभी नगर निगम को बसें सप्लाई नहीं की हैं। बसों की खरीद के लिए बनाए नियमों पर खरा उतरना आसान नहीं है। तीन एसी व तीन साधारण बसों का डिजाइन हटकर होने के कारण विशेष तौर पर इन्हें तैयार करना होगा। केवल छह बसों के लिए कोई कंपनी तैयार नहीं होगी। सरकार के आदेश हैं कि डीलरों की बजाय सीधा कंपनी से ही बस खरीदी जाएं। बस बनाने वाली कंपनियां चुनिंदा हैं इसलिए केवल छह बसों में वह दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
फोटो----32 नंबर है।
सीएम को तवज्जो नहीं देता प्रशासन : नरवाल
कांग्रेस के पूर्व ग्रामीण जिला अध्यक्ष सुरेंद्र नरवाल ने कहा कि सीएम के विधानसभा क्षेत्र में उनकी घोषणा पूरी नहीं होने से साफ है कि प्रशासन उन्हें तवज्जो नहीं दे रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के अन्य जिलों में क्या हाल होगा। सिटी बस के साथ ही करनाल को स्मार्ट बनाना का वादा भी जुमला निकला। मेडिकल कॉलेज में आज तक डॉक्टर नहीं आए।
फोटो----नंबर है।
वर्जन
नगर निगम दो बार सिटी बस के लिए टेंडर आमंत्रित कर चुका है। लेकिन दोनों बार यह खाली रहे। किसी भी बस निर्माता कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इसलिए हमने सरकार के पास स्पेशल केस भेजा है। अब या तो सरकार अपने स्तर पर बसें खरीदकर दे या फिर नगर निगम को कमेटी बनाकर डीलर से बसें लेने की इजाजत दी जाए।
डॉ. आदित्य दहिया, आयुक्त, नगर निगम, करनाल