नव संवत्सर सृष्टि की वर्षगांठ : मणि प्रसाद
फोटो---03 नंबर है। संवाद सहयोगी, घरौंडा आचार्य मणिप्रसाद गौतम ने कहा कि हम पाश्चात्य सं
फोटो---03 नंबर है।
संवाद सहयोगी, घरौंडा
आचार्य मणिप्रसाद गौतम ने कहा कि हम पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण कर मनुष्य लगातार लगातार परमात्मा से दूर होते जा रहा है। भारतीय संस्कृति अपार संस्कारों से भरी हुई है। जिनका अनुसरण कर हम सद्मार्ग की ओर बढ़ सकते हैं। हम अंग्रेजी नया साल तो धूमधाम से मनाते है, लेकिन भारतीय नववर्ष के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं रखते। आचार्य मणिप्रसाद प्रसिद्ध देवी मंदिर में प्रथम नवरात्र पर श्रद्धालुओं को प्रवचन कर रहे थे। देवी मंदिर मां शैलपुत्री के जयकारों से गूंज उठी। मणिप्रसाद ने संध्या आरती कर श्रद्धालुओं को मां शैलपुत्री व भारतीय नववर्ष की शुभकामना दीं। और इसके महत्व के बारे में बताया। कहा कि नव संवत्सर को सृष्टि की वर्षगांठ माना जाता है। भारतीय संस्कृति में नव वर्ष का शुभारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से माना गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को ब्रह्माजी ने सृष्टि के निर्माण की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी वर्ष में सिर्फ तारीख नई होती है, जबकि विक्रम संवत नववर्ष में नई फसल, निर्मल जल, शीतल मन, सुगंधित वायु व वृक्षों पर नए पत्तों का सृजन होता है। इसके साथ ही नए विचार भी आते हैं। मां शैलपुत्री सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है। प्रथम नवरात्र व ¨हदू नववर्ष पर अपने घर की छत पर पीला ध्वज लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही पीला ध्वज शांति का भी प्रतीक है।