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दूसरों के लिए जीना ही जीवन की परिभाषा: मित्तल

कलायत : रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं। इसे यदि दूसरों के लिए जीवन दान की उपमा दी जाए तो अति

By Edited By: Published: Sun, 28 Aug 2016 05:40 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 05:40 PM (IST)
दूसरों के लिए जीना ही जीवन की परिभाषा: मित्तल

कलायत : रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं। इसे यदि दूसरों के लिए जीवन दान की उपमा दी जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसलिए इस समाज कल्याण के कार्य में हर किसी को अपना योगदान देना चाहिए। ये शब्द अग्रोहा विकास ट्रस्ट के प्रांतीय प्रधान पारस मित्तल ने कहे। वे आदर्श गांव बालू बिढाण पट्टी में विशाल रक्तदान शिविर के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। इस दौरान करीब 200 युवाओं ने महादान में अपनी भागीदारी दर्ज कराई। दानवीरों को मुख्यातिथि पारस मित्तल, देवी दयाल, आरटीआइ कार्यकर्ता गुरूदेव ¨सह, युवा विकास मंडल अध्यक्ष प्रदीप बालू, सरपंच, पंच, ब्लाक समिति सदस्यों और दूसरे गणमान्य लोगों के साथ सम्मानित किया। मित्तल ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर इस प्रकार के सफल आयोजन बेहतर कल का प्रतीक है। न जाने कितनी ¨जदगियां सड़क दुर्घटनाओं के कारण रक्त न मिलने से बीच रास्ते दम तोड़ जाती है। अनमोल ¨जदगी की डोर यूं न टूटे इसके लिए रक्तदान सबसे सशक्त माध्यम है। रक्त का कोई ओर विकल्प नहीं है। इसलिए युवाओं को इस प्रकार के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर योगदान देना चाहिए।


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