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भैंसों के शाही ठाठ

रणदीप धानियां, कसान इस घर में भैंसों के शाही ठाठ हैं। यहां बच्चों की तरह अमूक प्र

By Edited By: Published: Sun, 31 Jul 2016 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 31 Jul 2016 03:00 AM (IST)
भैंसों के शाही ठाठ

रणदीप धानियां, कसान

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इस घर में भैंसों के शाही ठाठ हैं। यहां बच्चों की तरह अमूक प्राणियों की सुख सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। खाना-पीना हो या नहाना या फिर दूध दुहना, सभी का टाइम टेबल फिक्स है। सभी मवेशियों को सैंपू और साबुन के बाद जहां शावर से स्नान कराया जाता है वहीं बिजली कटौती से निपटने के लिए जेनरेटर की व्यवस्था की गई है ताकि पशुओं को असुविधा न हो।

हम बात कर रहे हैं तितरम निवासी किसान दल ¨सह की। पशु प्रेम के लिए आसपास के इलाके में विख्यात दल ¨सह अपने पशुओं को स्वच्छ जल के फव्वारे तले सैंपू और साबुन से मल-मल कर नहलाते हैं। उन्होंने पशुओं की तरोताजगी के लिए एक बड़ा स्नानघर बनवाया हुआ है। पेयजल सप्लाई व बिजली का झमेला न रहे, इसके लिए नलकूप व जनरेटर की व्यवस्था की गई है। निर्धारित समय पर चारा डालने, नहलाने और दुध दुहने के लिए पूरा प्रबंध है।

दल ¨सह कहते हैं कि पूर्व में तालाबों व चरागाहों की व्यवस्था थी। समय के साथ तालाब सिमटकर रह गए और चरागाह लुप्तप्राय हैं। बावजूद इसके किसान पशुपालन के कार्य से मुंह नहीं मोड़ सकता। कृषि उसके लिए मुनाफे का सौदा नहीं है। परिवार के पालन पोषण और आर्थिक संकट से उबरने के लिए कृषि के साथ-साथ पशुपालन जरूरी है। उनके पुत्र और पेशे से शिक्षक ओमप्रकाश कुंडू ने बताया कि कृषि के साथ-साथ पशु पालन परिवार का पैतृक व्यवसाय रहा है। भले ही उनके पिता 70 वर्ष की आयु को पार कर गए हैं, इसके बावजूद पशुओं के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ है। पशुओं के लिए फव्वारे लगाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि इससे जहां जल की बचत होती है वहीं पशुपालन के कार्य में परिवार के लोगों को कोई समस्या आड़े नहीं आती। बिना रखवाली कैसे सुरक्षित रह सकता पशुधन

दल ¨सह की पुत्रवधू कांता देवी कहती हैं कि पशु को हमेशा धन कहा जाता है। जब हम धन की रखवाली न करें तो यह कैसे सुरक्षित रह सकता है। इसी सोच को आत्मसात करते हुए उन्होंने आधुनिक तकनीक अपनाकर पशु धन के संवर्धन की योजना बनाई। उच्च शिक्षित कांता कृषि और पशुपालन कार्य में बराबर हाथ बंटाती है।

जनस्वास्थ्य विभाग ने किया जज्बे को सलाम

जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता देवीलाल ने कहा कि यह बेहद हर्ष की बात है कि जल संरक्षण के लिए किसान दल ¨सह ने पशुओं के लिए शावर की व्यवस्था की है। गिरते भूमिगत जल स्तर और परंपरागत जल संसाधनों को जिंदा रखने के लिए इस प्रकार के प्रयास बेहद जरूरी हैं। उन्होंने एक पंथ से कई कार्यो को अंजाम दे रहे किसान परिवार के जज्बे को सलाम किया।


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