अनफिट वाहनों की जांच में होती खानापूर्ति
सुरेंद्र सैनी, कैथल : अनफिट वाहनों की जांच भी अनफिट ही नजर आती है। वाहनों की जांच के
सुरेंद्र सैनी, कैथल : अनफिट वाहनों की जांच भी अनफिट ही नजर आती है। वाहनों की जांच के लिए न तो वर्कशॉप है और न ही पर्याप्त औजार व अन्य संसाधन। वाहन की हेडलाइट देखकर ही जांच की जाती है। लाइट ठीक तो गाड़ी फिट। इस तरह से की जाने वाली वाहनों की जांच का स्तर कैसा होगा, यह बताने की जरूरत नहीं है। बाहर से पकड़ में कोई खराबी आ गई तो ठीक, वरना गाड़ी पास । सप्ताह में केवल एक दिन ही जांच के लिए निर्धारित किया गया है।
नियमानुसार ऐसे होती जांच
सड़क पर चलने वाले प्रत्येक व्यवसायिक माल वाहक व यात्री वाहनों के लिए निर्धारित समयावधि में फिटनेस जांच करना अनिवार्य होता है। बिना इसके परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस विभाग उन पर कार्रवाई कर सकता है। नियमानुसार किसी भी वाहन की जांच परिवहन विभाग के मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर व उनका सहायक स्टाफ करता है। वाहन की फिटनेस जांचने के लिए वर्कशाप के साथ जांच में प्रयोग होने वाले उपकरण व औजारों की आवश्यकता होती है। परिवहन विभाग के पास अभी तक न तो वर्कशाप है और न ही औजार व संसाधन उपलब्ध है। केवल वाहनों की जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रही है।
बेलगाम दौड़ रहे अनफिट वाहन
शहर की सड़कों पर अनफिट वाहन बेलगाम दौड़ रहे हैं। सड़कों पर दौड़ती कबाड़ गाड़ियां। धुआं उगलती विभिन्न सुरों में आवाज लगाती, लेकिन जिम्मेदारों की नजर इन गाड़ियों पर नहीं पड़ती। इस कारण लोग परेशान तो हैं ही साथ में हादसों का कारण भी ऐसे वाहन बन रहे हैं। रोजाना शहर की सड़कों पर दौड़ रहे इन वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। केवल चालान काटकर इतिश्री की जाती है।
चंदाना गेट से रोजाना विभिन्न गांव को पुराने तीन पहिया वाहनों में सवारियों को ढोया जा रहा है। इसी प्रकार शहर की सड़कों पर पुराने व कंडम आटो सरेआम दौड़ रहे हैं। जुगाड़ वाहनों ओवरलोड कर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर मात्र खानापूर्ति है। जब राजस्व पूर्ति की बात होती है तो ट्रैक्टर ट्राली सहित अन्य वाहनों की जांच के लिए अभियान चलाया जाता है।
ट्रैक्टर ट्रॉली व जुगाड़
का अपना अंदाज
ट्रैक्टर ट्रॉली और जुगाड़ गाड़ियों का अपना अंदाज है। यदि राजस्व के लक्ष्य की बात नहीं हो तो कभी इन गाड़ियों की ओर विभाग की नजर नहीं जाती। शहर में ट्रैक्टर-ट्राली सहित अन्य वाहन ओवरलोडिड होकर चलते हैं। इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता। वाहनों के फिटनेस व चालक के लाइसेंस तक की जांच नहीं होती। वहीं जुगाड़ वाहन को रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। माल ढुलाई से लेकर सवारी ढोने तक ये वाहन स्टेट यहां तक की नेशनल हाईवे पर भी फर्राटे से दौड़ते नजर आते हैं।
बिना लाइट के दौड़ते वाहन
परिवहन विभाग से फिटनेस जांच पास कराने वाले कई वाहन जांच के कुछ ही हफ्तों या महीनों में फिर से अनफिट हो जाते हैं। विशेष रूप से निर्माण सामग्री व अन्य ऐसी चीजें ढोने वाला वाहन। क्योंकि माल ढोने के दौरान इन वाहनों की हेड लाइट से लेकर टेल और बैक लाइट और यहां तक की रिफ्लेक्टर तक टूट जाते हैं। एक बार टूटने के बाद यह अगली फिटनेस पा¨सग तक वाहन पर नहीं लग पाते। तब तक यह वाहन इसी तरह से यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए व हादसों की वजह बनते हुए सड़कों पर दौड़ते रहते हैं।