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बाजार में मंदी, दो हजार के नोट से भी राहत नही

जागरण संवाददाता, कैथल : नोटबंदी के 28 दिनों के बाद भी पुराने नोटों की चोट से आहत हुए

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 12:41 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 12:41 AM (IST)
बाजार में मंदी, दो हजार के नोट से भी राहत नही

जागरण संवाददाता, कैथल :

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नोटबंदी के 28 दिनों के बाद भी पुराने नोटों की चोट से आहत हुए बाजार अभी तक पूरी तरह से सामान्य नहीं हो सका है। बाजारों में पुराने नोट तो चल ही नहीं रहे, बल्कि नए दो हजार रुपये के नोट से भी राहत नहीं मिल सकी है।

दरअसल, पुराने नोट न चलने से लोहा, सर्राफ, किरयाना, इलेक्ट्रॉनिक्स व कपड़ा, बर्तन, जूता, सीमेंट, खल कारोबार पर मंदी की मार है। नया नोट दो हजार का होने से छुट्टे भी मुश्किल से ही मिल पा रहे हैं। इसके चलते दुकानदार परेशान है। स्वाइप मशीन से भी पेमेंट करने वालों की संख्या गिनती की ही है। बाजारों में खरीदारी के लिए लोग केवल जरूरत का सामान के लिए ही आ रहे हैं।

दिनभर पसरा रहता सन्नाटा

500 व 1000 के नोट पर प्रतिबंध लगाए जाने का असर बाजारों से पूरी तरह से कम नहीं हुआ है। जिलेभर के बाजारों में दुकानदारों के सामने पुराने नोट न लेने से दुकानदारी पर मंदी का असर दिख रहा है। शादियों के सीजन में लोग बेहद जरूरी सामान की ही खरीदारी कर रहे है। पैसे की कमी होने के कारण कारोबार भरोसे पर टिक रहा है।

उधारी अधिक होने व ऊपर से माल की सप्लाई भी प्रभावित होने से व्यापारी के सामने संकट की स्थिति छाई है। यहीं नहीं आमजन का हाल भी बेहाल है। लोग पुराने नोट लिए घूम रहे है। पुराने चल नहीं रहे, जबकि नया दो हजार के नोट के छुट्टे मिल नहीं रहे है। इसका प्रभाव बाजारों पर भी पड़ा है।

स्वाइप से ले रहे हैं पेमेंट

शहर के मेन बाजार में गोयल बुट हाउस के संचालक चंद्रगुप्त गोयल ने कहा कि अब मार्केट में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। स्वाइप मशीन से पेमेंट ग्राहकों से ले रहे हैं। हालांकि पहले की तरह ग्राहकों की संख्या नहीं है।

बाजारों पर पड़ा नोटबंदी का असर :

मेन बाजार में क्रॉकरी व्यापारी कृष्ण कत्याल ने कहा कि मंदी की मार है। ग्राहक बाजारों में आ नहीं रहा है। दिनभर खाली बैठे रहने पर मजबूर है। लोगों के पास खरीदारी के लिए कैश ही नहीं है। जरूरत के हिसाब से खरीदारी हो रही है। दिन में तीन से चार ग्राहक ही आ रहे हैं।

काम की नहीं मिल रही पेमेंट

शीशा का काम करने वाले विनोद कुमार ने कहा कि काम में काफी कमी आई है। दुकानदार खाली बैठने पर मजबूर है। उधार में सामान दे रहे हैं। जो भी पेमेंट आ रही है वह पुरानी करंसी में आ रही है। काफी उधार अटका पड़ा है।

कारोबार हुआ प्रभावित

भगत ¨सह चौक पर खल भंडार के मालिक राधेश्याम मलिकपुरिया ने कहा कि खल कारोबार पर मंदी की मार है। 20 से 25 प्रतिशत ही काम रह गया है। लोग बड़े नोट लेकर खल खरीदने के लिए आते हैं। दिनभर कई लोगों के साथ बहस होती है। काफी परेशानी में कामकाज चल रहा है।


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