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दो साल में 38 गांव ही शौचमुक्त

पंकज आत्रेय, कैथल: दो साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने

By Edited By: Published: Fri, 30 Sep 2016 01:12 AM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2016 01:12 AM (IST)
दो साल में 38 गांव ही शौचमुक्त

पंकज आत्रेय, कैथल: दो साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की। इसके तहत कैथल को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) करने का अभियान जोर-शोर से चला, लेकिन हालात यह हैं कि दो साल का अरसा बीत जाने के बाद जिले के महज 38 गांव ही खुले में शौचमुक्त घोषित किए गए। इनकी भी वेरिफिकेशन बाकि है।

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लक्ष्य का अभी तक 13 प्रतिशत ही हिस्सा ही हासिल हो सका है और 67 प्रतिशत के लिए तीन साल की अवधि है। एक साल की औसत भी निकाली जाए तो लक्ष्य असाध्य लग रहा है। दावा फरवरी माह के अंत तक पूरे जिले को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का है।

यह गांव शौचमुक्त घोषित

गांव का नाम खंड का नाम ओडीएफ वेरिफिकेशन

चाबा गुहला नहीं

छन्नाजाटान गुहला नहीं

गढ़ी नजीर गुहला नहीं

कमहेड़ी गुहला नहीं

मलिकपुर गुहला नहीं

रामनगर गुहला नहीं

सरकपुर गुहला नहीं

शादीपुर गुहला नहीं

सुल्तानिया करतारपुर गुहला नहीं

बलवंती कैथल

नहीं

बेगपुर कैथल

नहीं

चकपाड़ला कैथल

नहीं

छौत कैथल

नहीं

डेरा गदला कैथल नहीं

देवीगढ़ कैथल नहीं

जगदीशपुरा कैथल नहीं

जसवंती कैथल नहीं

मालखेड़ी कैथल नहीं

पट्टी खौत कैथल नहीं

उझाना कैथल नहीं

कलासर कलायत नहीं

रामगढ़ पांडवा कलायत नहीं

अहमदपुर पूंडरी नहीं

डुलयानी पूंडरी नहीं

जांबा पूंडरी नहीं

जटेड़ी पूंडरी नहीं

खेड़ी साकरा पूंडरी नहीं

पाबला पूंडरी नहीं

मंढवाल राजौंद नहीं

हरनौला सीवन नहीं

जनेदपुर सीवन नहीं

मांडी सादरा सीवन नहीं

माघोमाजरी सीवन नहीं

प्रभोत सीवन नहीं

प्रेमपुरा सीवन नहीं

रामदास पुरा सीवन नहीं

थेह खरक सीवन नहीं

उमेदपुर सीवन नहीं

बॉक्स

कई गांवों में आज भी लोग न सिर्फ खुले में शौच जाते हैं, बल्कि दर्जनों घरों में शौचालय ही नहीं बने हैं। कई घर तो ऐसे भी पाए गए जिनमें शौचालय तो बने, लेकिन उनमें लोगों ने उपले और लकड़ियां भर रखी हैं।

शहर से सटे गांव देवीगढ़ का दौरा किया तो देखा कि सुबह के समय अब भी ग्राम वासी हाथ में पानी की बोतल लेकर शौच जा रहे थे। पूछने पर कई लोगों ने बताया कि उनका गांव अभी तक पूर्ण रूप से खुले से शौच मुक्त नहीं है। गांव के चौकीदार नाभा के घर में भी अभी तक शौचालय नहीं बना। इसी प्रकार रामकुमार, शमशेर, शीशपाल, रमेश आदि के घर भी बिना शौचालय के हैं। नरेश, धीरा व बीरा के घर शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन उन्होंने इनमें कबाड़, लकड़ी, उपले भरे पड़े हैं। कमोबेश यही हालात गांव उमेदपुर के भी हैं। वहां भी कई घरों में शौचालय नहीं है। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी शौच के लिए खुले में जाती हैं। यह आठ-नौ डेरों को मिलाकर बनाई गई पंचायत है, जिसमें 478 वोट हैं।

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इन गांवों को दिया था सम्मान

जिला प्रशासन ने हर खंड से एक-एक गांव को यह पुरस्कार दिया है। कैथल से देवीगढ़, सीवन से उमेदपुर, कलायत से कलासर, पूंडरी से अहमदपुर और गुहला से ककहेड़ी गांव को चुना गया है। उमेदपुर गांव को दो अवार्ड दिए गए हैं। एक खंड स्तरीय और दूसरा जिला स्तरीय। इसमें इस गांव को दो लाख रुपये मिले। कलायत के कलासर को भी दो पुरस्कार दिए गए। एक शौचमुक्त पंचायत का और दूसरा सार्वजनिक स्वच्छ शौचालय का। राजौंद खंड से किसी भी गांव को पुरस्कृत नहीं किया गया।

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अधर में है शौचालयों का निर्माण

गांव देवीगढ़ के सरपंच गुलाब ¨सह ने कहा कि कुछ शौचालयों का निर्माण अधर में लटका हुआ है, क्योंकि भाजपा सरकार ने शौचालय निर्माण के लिए राशि देनी बंद कर दी है। गांव के कुछ लोगों की खुले में शौच जाने की आदत है। वे मानते नहीं, लेकिन फिर भी उनका काम लोगों का जागरूक करना है वे करते रहेंगे आगे काम लोगों का है।

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यह है अवार्ड देने का पैमाना

अवार्ड के लिए सरकार ने 50 अंक रखे हैं, जिसमें से 10 अंक सभी घरों में शौचालय व उनका प्रयोग में होने के हैं। 10 अंक आंगनवाड़ी, स्कूल (प्राइवेट-सरकारी) में शौचालय प्रयोग में होने के हैं। इनमें लड़का-लड़की के अलग अलग शौचालय हो जिसमें पानी की व्यवस्था व स्वच्छता हो। 8 अंक सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट (जिसके तहत हर घर व दुकान से कचरा लेकर गांव के लाल डोरे से बाहर पूर्ण निपटारा करने से है), 8 अंक लिक्वड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट (गंदे पानी की अंडर ग्राउंड निकासी व निपटारा), 10 अंक गांव में स्वच्छ पेयजल निजी व सार्वजनिक व्यवस्था के और 4 अंक गांव में सार्वजनिक जगह पर पौधा रोपण के हैं। उपरोक्त अंक पाने वाली पंचायत को ही यह पुरस्कार मिल सकता है, लेकिन गांव देवीगढ़ में ना तो सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट, न ही लिक्वड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट और न ही सभी घरों में शौचालय हैं।

वर्जन

फरवरी माह के अंत तक हम जिले को पूरी तरह से खुले में शौचमुक्त कर देंगे। करीब 38 गांवों ऐसे हैं, जिन्हें पूरी तरह से ओडीएफ कर दिया गया है, वेरिफिकेशन शेष है।

- कैप्टन शक्ति ¨सह, एडीसी कैथल।


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