वन घोटाले में नया मोड़, आरएफओ ही गिन रहे थे पैसे
- वायरल फोटो वीडियो में खुद की उपस्थिति हुई स्वीकार - चोरी छिपे मजदूरों को पैसे बांट
- वायरल फोटो वीडियो में खुद की उपस्थिति हुई स्वीकार
- चोरी छिपे मजदूरों को पैसे बांटने की वायरल फोटो ने बढ़ाई मुश्किलें
संवाद सहयोगी, कलायत : वन विभाग में ठेकेदारी व्यवस्था के फर्जी दस्तावेज तैयार कर घोटाला करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। वन विभाग पूंडरी में तैनात तत्कालीन आरएफओ ने श्रम न्यायालय अंबाला में जो स्टेटमेंट दी है, उसने मामले को पेचीदा बना दिया है। 8 सितंबर 2015 को न्यायालय में दिए गए बयानों की आरटीआइ से मिली प्रति ने ठेकेदारी प्रथा से जुड़े बड़े झोल को साफ करके रख दिया है। आरएफओ ने स्वयं ये माना है कि ठेकेदार पंजीकरण का जो रजिस्टर है उसमें किसी ठेकेदार के साइन नहीं है। लेकिन वन मंडल अधिकारी के साइन है। एक नर्सरी में ज्यादा से ज्यादा 20 श्रमिक भी काम कर सकते हैं और 30 भी। इनको वेतन ठेकेदार देते है। ठेकेदारों का वेतन डीएफओ उनके खाते में जमा करवा देते हैं। फोटो मैंने देख ली है जिसमें मैं पैसे गिन रहा हूं और मेरे साथ वन रक्षक भी बैठे हैं। मेरे साथ खडे़ हुए लोगों को मैं नहीं जानता ये श्रमिक हैं या कोई और व्यक्ति। यह ठीक है कि फोटो में पैसे गिने जा रहे हैं और दिए जा रहे हैं। इसकी कॉपी फाइल में लगा दी गई है। खुद कहा कि हो सकता है फोटो में पेमेंट ठेकेदार करवा रहा हो। आरएफओ के इस प्रकार के बयानों से पिछले कई सालों से सरकार के लिए सिरदर्द बने वन घोटाले आरोपों की शिकायत ने अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। आरटीआइ कार्यकर्ता धूप ¨सह द्वारा ठेकेदारी प्रथा के संदर्भ में मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत की जांच वन राजिक अधिकारी सरस्वती कैथल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक हरियाणा, वन मंडल अधिकारी कुरुक्षेत्र और कुछ दूसरे अधिकारियों द्वारा समय-समय पर की गई। शिकायत कर्ता के अनुसार अधिकारियों ने जांच के दौरान फोटो, वीडियो और अन्य साक्ष्यों को नाकाफी बताया। इसके साथ ही ये तर्क भी दिया कि फोटो और वीडियों की गतिविधियां साफ नजर नहीं आ रही। आरएफओ ने न्यायालय में दिए बयानों में स्वयं माना है कि पंजीकरण रजिस्टर में किसी ठेकेदार के साइन नहीं है और फोटो वीडियो में जो लोग पैसे बांट रहे हैं उनमें खुद व अन्य की मौजूदगी साबित की है।