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17 सालों से भट्ठा मजदूरों के हकों के लिए कर रहे संघर्ष

जागरण संवाददाता, कैथल : वर्ष 1999 की बात है वे कैलरम गांव के नजदीक स्थित ईट-भट्ठा पर काम

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 11:46 PM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 11:46 PM (IST)
17 सालों से भट्ठा मजदूरों के हकों के लिए कर रहे संघर्ष
17 सालों से भट्ठा मजदूरों के हकों के लिए कर रहे संघर्ष

जागरण संवाददाता, कैथल :

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वर्ष 1999 की बात है वे कैलरम गांव के नजदीक स्थित ईट-भट्ठा पर काम करते थे। मनमर्जी के रेट मजदूरों को दिए जाते थे। स्वास्थ्य सेवाएं तो दूर की बात स्वच्छ पानी तक की सुविधा भी नहीं थी। मजदूर जब हिसाब करवाते थे तो उनकी तरफ पैसा निकलने पर इस रकम को चुकता करने के लिए उनके परिवार को बंधक बना लिया जाता था, जब तक राशि नहीं मिलती थी तब तक परिवार भट्ठों पर ही बंधक बनकर रहता था। मजदूरों के साथ हो रहे इस शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए संघर्ष की राह पकड़ ली। यह कहना है लाल झंड़ा भट्ठा मजदूर यूनियन के जिला सचिव जसपाल का। वे पिछले 17 सालों से भट्ठा मजदूरों के हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने दस साल तक परिवार के साथ भट्ठा पर मजदूरी की।

जसपाल बताते हैं कि भट्ठों पर मजदूरों का अब भी शोषण हो रहा है, लेकिन कुछ हद तक कम हुआ है। उन्होंने वर्ष 1999 में मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए यूनियन बनाई। शुरूआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भट्ठा मालिकों की तरफ से धमकियां भी मिलती रही। यहां तक उनकी आवाज को दबाने के लिए हमले भी करवाए गए, लेकिन वे पीछे नहीं हटे। प्रदेश में हिसार के बाद कैथल में भट्ठों पर मजदूर यूनियन का गठन किया गया।

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200 भट्ठा मजदूरों को कराया मुक्त

कलायत निवासी जसपाल ने बताया कि जिलेभर में 20 से 25 भट्ठों पर मजदूरों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। करीब 200 भट्ठा मजदूर परिवारों को मुक्त करवाया। इस दौरान यूनियन का भरपूर सहयोग मिला। 10-15 साल पहले मजदूरों की यह हिम्मत नहीं थी कि वे मालिक के सामने अपने हकों की बात रख सके। यूनियन के गठन के बाद मजदूरों के शोषण को लेकर भट्ठा मालिकों व प्रशासनिक अधिकारियों के सामने बैठकर मजदूरों के रेट तय किए जाने लगे हैं। वहीं मनरेगा व ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों को लेकर भी वे संघर्ष कर रहे हैं।

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भट्ठों पर आज भी सुविधाओं का अभाव है। श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही है, स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं हो पाता। इन सब सुविधाओं को लेकर वे मजदूरों को संगठित करते हुए प्रशासन व सरकार के समक्ष आवाज उठाने में लगे हैं। जब तक मजदूरों को सभी सुविधाएं नहीं मिल जाएंगी तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।


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