बैंक से परेशान सैनिक ने किया मैडल नीलाम करने का ऐलान
संवाद सहयोगी, कलायत: बैंक अधिकारी सैनिक के परिवारों को दर-दर की ठोकरें खिलाने में कोई कोर कसर नहीं छ
संवाद सहयोगी, कलायत: बैंक अधिकारी सैनिक के परिवारों को दर-दर की ठोकरें खिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। मामला कलायत के स्टेट बैंक आफ पटियाला से जुड़ा है।
बैंक प्रबंधन की कार्यप्रणाली से हताश सैनिक परिवार ने सैन्य मेडलों को नीलाम करने का ऐलान किया है। यह निर्णय भारतीय सेना में राष्ट्रपति सम्मान से नवाजे गए स्व. रामदिया फौजी के पुत्र रोहताश कुमार को विवशता में लेना पड़ा।
उनकी मजबूरी यह है कि तमाम औपचारिकताएं पूरा करने के बाद भी बैंक अधिकारियों ने उसके प्रधानमंत्री योजना के अंतर्गत स्वीकृत लोन को सिरे से नकार दिया। हालांकि इस संदर्भ में वह कुशल ढंग से साक्षात्कार उत्तीर्ण कर चुका है।
रोहताश ने बताया कि वर्ष 1978 में पिता रामदिया फौजी को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। इसी क्रम में राष्ट्रपति ने उन्हें दो डूबते बच्चों की जान बचाने की बहादुरी पर विशेष सम्मान से नवाजा था। इसके अलावा सैन्य सेवा मेडल और दीर्घ सेवा मेडल सहित सात मेडल उन्हें सेवा के दौरान मिले।
देश की रक्षा के लिए कठिन संघर्ष करने वाले परिवार की बैंक अधिकारी जमकर बेकद्री कर रहे है। रोहताश का कहना है कि बैंक अधिकारियों ने सरकार की नीतियों को पलीता लगाने के लिए अपने अनुसार नगरीय क्षेत्र की वार्डबंदी कर रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार देने के सपनों को तार-तार करने में बैंक अधिकारी कमी नहीं छोड़ रहे।
प्रधानमंत्री योजना के अनुसार सरकारी बैंक से ऋण लेने पर सब्सिडी का प्रावधान है, लेकिन बैंक अधिकारी युवाओं को सरकार की योजनाओं से विमुख करने के लिए उन्हें निजी बैंकों में बगैर सब्सिडी ऋण लेने के लिए विवश कर रहे है।
वार्डबंदी में फंसा सैनिक परिवार:
स्टेट बैंक आफ पटियाला प्रबंधक राजेश खन्ना ने बताया कि सैनिक परिवार वार्ड 1 से संबंध रखता है। वह प्रधानमंत्री योजना के तहत संबंधित बैंक का लाभ नहीं ले सकता। इसलिए रोहताश कुमार का ऋण आवेदन यहां से रिजेक्ट करना पड़ रहा है। उन्होंने वार्डबंदी तय कर रखी है। इसके अनुसार ऋण दिए जा रहे हैं।