बाबा शाह कमाल की मजार पर सद्भाव का संगम
जागरण संवाददाता, कैथल : जवाहर पार्क स्थित बाबा शाह कमाल की मजार पर मंगलवार से तीन दिवसीय
जागरण संवाददाता, कैथल : जवाहर पार्क स्थित बाबा शाह कमाल की मजार पर मंगलवार से तीन दिवसीय सालाना उर्स मेला मंगलवार से शुरु हो गया है। ¨हदू-मुस्लिम सछ्वाव की मिसाल मानी जाने वाली यह मजार हर साल श्रद्धा और सछ्वावना के रंगों से गुलजार हो उठती है। तीन दिनों तक देश के सभी हिस्सों से लोग यहां मन्नत पूरी होने पर चादर चढ़ाने के लिए आते हैं। गद्दीनशीन बाबा रजनीश शाह ने बताया कि यह उर्स मेला भाईचारे की मिसाल है। यहां मुस्लिम, हिन्दू, सिख, ईसाई सभी धर्म के लोग एक साथ भंडारे में भोजन ग्रहण करते हैं और एक साथ ही बाबा की मंजार पर मन्नतें मांगते हैं। बाबा भी सभी समुदायों के लोगों की मन्नतें पूरी करते हैं। इसका एक उदाहरण रोशन लाल गुप्ता हैं जो यहां लगातार 25 सालों तक गद्दीनशीन रहे। इनके बाद बाबा कुलवंत शाह ने गद्दी संभाली और अब कुछ वर्ष पूर्व उनके चोला छोड़ने के बाद उनका पुत्र होने के नाते में गद्दी संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाबा शाह कमाल की याद में यहां लगातार तीन दिनों तक भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। जहां सभी धर्म के लोग एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। उन्होंने बताया कि दो वर्ष पूर्व तक मंजार के सेवक ही पूरी व्यवस्था देखते थे और अब कानून में संशोधन के बाद यह जमीन वक्फ बोर्ड को चली गई। अब मेले की पूरी व्यवस्था भी वक्फ बोर्ड ही करता है।
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कानों में मिठास घोल देगा मंजार पर बजने वाला सूफी संगीत
उर्स मेले की व्यवस्था देश रहे नवीन ने बताया कि बाबा शाह कमाल की मंजार पर हर वर्ष की भांति रात को दिल्ली, सहारनपुर,
मलेरकोटला, लुधियाना, पानीपत से आए सूफी संगीत के महारथी उत्तर प्रदेश, लुधियाना, से आएंगे। उन्होंने बताया कि सूफी संगीत क्या होता है यह जानना है तो रात को बाबा की मंजार पर आना पड़ेगा। बाहर से आई ये छह पार्टियां बाबा की याद में सूफी संगीत कव्वालियों की ऐसी प्रस्तुति देंगे जो आपके कानों में मिठास घोल देगी। लगातार तीन दिनों तक रात दस बजे से शुरू होकर पूरी रात कव्वालियों का सिलसिला जारी रहेगा।
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भाईचारे की मिसाल हैं मजार पर पहुंचे लोग
मजार पर पहुंचे शहर के ही महेंद्र दुआ, अशोक ठुकराल, सुभाष कालड़ा ने बताया कि वे वर्षों से शाह कमाल मंजार से जुड़े हैं। यहां वे रोजाना आते हैं और उर्श मेले में भी व्यवस्था देखते हैं। वहीं राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले से पहुंचे सर्वर खान और मन्चे खान ने बताया उनके पूर्वज पहले यहां आते थे।अब वे परंपरा को कायम रखते हुए हर वर्ष यहां आते हैं और तीन दिनों तक यहीं रहते हैं। उन्होंने बताया कि यहां आए लोगों का प्रेमभाव देखते हुए लगता ही नहीं कि वे किसी दूसरे राज्य में आए हैं।