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धरने पर जगह पड़ी कम तो सड़कों पर जा डटे जाट

जागरण संवाददाता, कैथल: 19 फरवरी के बलिदान दिवस के बाद रविवार को काला दिवस देवबन कैंची पर

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 12:34 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 12:34 AM (IST)
धरने पर जगह पड़ी कम तो सड़कों पर जा डटे जाट
धरने पर जगह पड़ी कम तो सड़कों पर जा डटे जाट

जागरण संवाददाता, कैथल: 19 फरवरी के बलिदान दिवस के बाद रविवार को काला दिवस देवबन कैंची पर जाटों के शक्ति प्रदर्शन का दूसरा नमूना रहा। हजारों की संख्या में लोग काले कपड़े, पगड़ी और पट्टियां पहने थे तो महिलाओं ने काले रंग की कपड़े और चुनरी ओढ़ रखी थी। भीड़ इस कदर बढ़ गई तो मंच से आरक्षण संघर्ष समिति के जिला प्रधान प्रवीण किच्छाना ने ऐलान कर दिया कि जाट समाज के लोग पंडाल को खाली करके सड़कों पर बैठ जाएं। इसके बाद धरना देने वाले कैथल-पानीपत और कैथल-जींद स्टेट हाईवे पर आ गए। इससे दोनों हाईवे पर जाम लग, जो करीब पांच घंटे तक जारी रहा। काला दिवस पर ताश खेल रहे बुजुर्गों को भी रोक दिया गया और रसोई भी ठंडी रही। इस व्यवस्था को भूख हड़ताल का भी नाम दिया गया।

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धरने के दौरान यह पहली बार हुआ कि देवबन कैंची पर खाना नहीं बनाया गया। बच्चों और महिलाओं को देखते हुए उन्हें सिर्फ पानी और चाय ही परोसी गई। धरने के 29वें दिन की और काला दिवस की अध्यक्षता गांव तारागढ़ की महिला अंग्रेजो देवी ने की। भीड़ को देखते हुए पुरुषों और महिलाओं के बैठने की अलग व्यवस्था थी।

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घूंघट के पीछे झलका रोष

जाट समाज की महिलाएं आह्वान के चलते काले रंग की चुनरी और परंपरा के अनुसार घूंघट में धरने पर पहुंची। यहां तक पहुंचते हुए वे सड़कों पर नारेबाजी करती आई। घूंघट के पीछे से उन्होंने आरक्षण व अन्य मांगें पूरी नहीं करने के चलते सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। महिलाएं खुद स्वयं सेवी का काम कर रही थी। लड़कियां भी सेवा में पीछे नहीं थी।

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खुद ट्रैक्टर चलाकर पहुंची बबली

धरने पर महिलाओं की ट्राली भर वार्ड नंबर आठ से जिला परिषद की सदस्य बबली चंदाना उर्फ सुदेश खुद ट्रैक्टर का स्टेय¨रग थामकर देवबन कैंची पहुंची। उनकी एंट्री स्टेट हाईवे पर जमा हुए समाज के लोगों के लिए उत्साहित करने वाली तो थी ही, युवाओं में उन्हें देखने का क्रेज भी रखा। युवाओं ने ट्रैक्टर चलाते हुए मोबाइल में उनकी फोटो भी ली। वार्ड नंबर दो से जिला पार्षद अंजू जागलान भी धरने पर पहुंची।

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विवादित संत के अनुयायी पहुंचे

विवादित संत रामपाल के अनुयायियों ने दो दिन पहले देवबन कैंची पर पहुंचकर जाटों की मांगों को समर्थन देने का ऐलान किया था। साथ ही काला दिवस में भी शामिल होने की बात कही थी। इसके चलते रविवार को न सिर्फ जिले से, बल्कि आसपास के जिलों और पंजाब से भी अनुयायी बड़ी संख्या में हाथों में संत के बैनर लिए धरने पर पहुंचे।

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लोगों को आई परेशानी

एक दिन पहले भले ही प्रशासन ने ट्रैफिक को डाइवर्ट करने और समस्या नहीं आने देने का दावा किया हो, लेकिन रविवार को इंतजाम कम ही दिखाई दिए। कैथल से जींद और पानीपत की तरफ जाने वाले वाहनों को दिक्कतें आई। पानीपत से आने वाले ट्रैफिक को राजौंद से ही मोड़कर पूंडरी रोड पर शिफ्ट किया गया था। बड़ी संख्या में वाहन गांव शेरू खेड़ी से भी होकर गुजरे।

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युवाओं के हाथों में कमान

काला दिवस मनाने महिलाओं के बाद सबसे बड़ी संख्या युवाओं की रही। 29 दिन पहले जब यह धरना शुरू किया गया था तो युवा कम ही थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या में इजाफा होता जा रहा है। जाट नेताओं के भाषण भी उग्र होते जा रहे हैं।

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खुफिया के साथ सैन्य तंत्र भी चुस्त

सरकार के ड्यूटी मजिस्ट्रेट के अलावा खुफिया विभाग के सदस्य भी दिन भर मुस्तैद नजर आए। वे पल-पल की हरकतों की खबर अफसरों तक पहुंचा रहे थे। सिर्फ पुलिस ही नहीं, सैन्य खुफिया विभाग ने भी धरने पर तैनात प्रशासन के लोगों से हालातों की ब्योरा लिया। यह अलग बात है कि इतनी बड़ी संख्या में जाटों के धरने पर पहुंचने की स्थिति में न तो आरएएफ की तैनाती ही आसपास नजर आई और न ही सीआरपीएफ की। दोनों कंपनियां जिले में उतारी गई हैं।


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