आरक्षण पर रोक के लिए सरकार दोषी
जागरण संवाददाता, कैथल : हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट द्वारा जाट आरक्षण पर अंतरिम रोक लगाने के फैसले को
जागरण संवाददाता, कैथल : हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट द्वारा जाट आरक्षण पर अंतरिम रोक लगाने के फैसले को लेकर जाट समाज के लोग असंतुष्ट हैं। इसका ठीकरा सरकार के सिर फोड़ते हुए उनका मानना है कि यदि सरकार चाहती तो ऐसा नहीं होता। सरकार ने हाई कोर्ट में आरक्षण के मामले की सही तरीक से पैरवी नहीं की। न्यायालय को भी रोक लगाने से पूर्व दूसरे पक्ष को भी सुनना चाहिए था। यह कहना है सर्वजाट खाप पंचायत के राष्ट्रीय प्रवक्ता सूबे ¨सह समैण का।
यहां करनाल रोड स्थित जाट महासभा के जिलाध्यक्ष सुभाष बढ़सीकरी के कार्यालय में जाट समाज की बैठक के बाद सूबे ¨सह पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हालात अभी सामान्य नहीं हैं और हर कोई अपने स्तर पर लोगों के बीच भाईचारा स्थापित करने के लिए लगा हुआ है। ऐसे में हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट की ओर से जाट आरक्षण पर रोक लगाने से उनकी मुहिम को धक्का लगेगा। अभी भी वक्त है। सरकार यदि 21 जुलाई से पहले इस मामले में पुख्ता तौर पर अपनी बात रखे तो आरक्षण को बचाया जा सकता है। जाट आरक्षण को लेकर प्रदेश में पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है। सरकार को चाहिए कि छह जातियों को दिए गए आरक्षण को लेकर उनकी मजबूती से पैरवी करे।
समैण ने कहा कि जाट समुदाय समेत छह जातियों जाट, रोड़, जट्ट सिख, बिश्नोई, मुल्ला जाट और त्यागी कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन यदि सरकार जाट आरक्षण की पैरवी ठीक से करती तो इस पर रोक नहीं लगती। वे अपने हकों की लड़ाई को जारी रखेंगे। उन्होंने अदालतों से भी आग्रह करते हुए कहा कि जहां समाज से जुड़ा कोई मामला हो तो उसमें दोनों पक्षों को अच्छी तरह सुनने के बाद ही निर्णय लेना चाहिए।
इस अवसर पर जाट नेता सुभाष बड़सीकरी, बलवंत ¨सह समैण, सतीश समैण, संदीप नाडु, जिले ¨सह मटौर, विनोद ढांडा, विकास नीमवाला, धीरा बालू, बलकार ग्योंग और ओम प्रकाश ढांडा समेत कई जाट नेता मौजूद थे।