सेक्टरनामा : हुडा सेक्टर में बंदरों के आतंक से लोगों में खौफ
जागरण संवाददाता, कैथल हुडा निवासियों को कई समस्याएं सता रही है। हुडावासी सबसे अधिक बंदरों से परेशा
जागरण संवाददाता, कैथल
हुडा निवासियों को कई समस्याएं सता रही है। हुडावासी सबसे अधिक बंदरों से परेशान है। विकास गर्ग, कली राम, भरत ¨सह, राजकुमार गोयल ने बताया कि हुडा में बंदरों ने आंतक मचाया हुआ है। यदि एक या दो बंदर हो तो उन्हें लाठी या डंडे से डराया भी जा सकता है। लेकिन यहां हुडा सेक्टर में बंदर गुट बनाकर हमला करते है। यहां लोग बंदरों से खौफ खाते है। बंदर सड़क पर चलते फिरते दिखाई देते हैं।
कई लोगों ने बंदरों के काटने के बारे में बताया। हुडा के कई पार्कों में बंदरों का कब्जा है। यदि वहां सैर सपाटे के लिए लोग आते हैं, तो बंदर उसे काट खाते है। इससे लोगों ने हुडा के कई पार्कों में जाना बंद कर दिया है। कई बार प्रशासन के पास भी शिकायत भेजी गई। लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।
बंदरों से निजात पाने के लिए हुडा वासियों ने स्वयं पैसा जमा करना शुरू दिया। अब तक उसके भी कुछ परिणाम सामने नहीं आए। सबसे अधिक समस्या छोटे बच्चों को होती है।
लख्मी चंद ने बताया कि बंदरों के कारण हुडा वासियों को बहुत ज्यादा समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है। बंदर बहुत ही चालाक हैं, वह घरों के दरवाजे खोलकर घर में घुस जाते है और फ्रिज खोलकर सारा सामान खा जाते हैं। बंदर किसी भी नहीं डरते, दस से बीस के गुट बनाकर आते है। यदि कोई डंडा दिखाता है तो उसे काटने के लिए दौड़ते हैं। कई लोगों को बंदर काट चुके हैं। गनीमत यह भी है कि बंदरों के हमले में कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। बंदर सारा दिन पार्क में बैठे रहते है और जिससे आसपास रहने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
टेकचंद ने बताया कि लोगों ने बंदरों के डर के कारण घरों के बाहर बैठना बंद कर दिया है। बड़ों सहित बच्चों के हाथ से खाने का सामान छीन कर जाते हैं बंदर। छतों पर सूख रहे कपड़ों को फाड़ डालते है। कई बार बंदर दरवाजा खोल कर घर में घुस जाते है। घर में रखे समान को भी कई बार नुकसान पहुंचा चुके है। बंदरों के डर से बुजुर्गों ने पार्क में सैर करना बंद कर दिया है। कई बार बुजुर्गो पर हमला भी कर देते हैं। ।
हुडा वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान सुरेश कुमार सिरोही ने बताया कि बंदरों से यहां हर कोई परेशान बंदरों के कारण लोगों को जीना मुहाल हो गया है। ऐसा भी सुनने में आया था कि नगर परिषद के द्वारा 48 हजार रुपये का ठेका बंदरों को पकड़ने के लिए छोड़ा गया था, लेकिन हुडा में बंदरों की संख्या में कही कमी आई हो ऐसा भी नहीं है।
नगर परिषद के ईओ एसके गोयल ने बताया कि बंदरों को पकड़ने के लिए ठेका छोड़ा गया था। ठेका यूपी के कुछ लोगों को दिया गया था। उन्होंने लगभग 63 बंदर पकड़े थे। उसी हिसाब से उन्हें पैसे भी दिए गए थे। शहर में बंदरों की संख्या में पहले से कमी आई है। यदि लोगों को बंदरों से दिक्कत हो रही है तो इस समस्या का प्रमुखता से समाधान किया जाएगा।