'बच्चों के जन्म में रखे तीन साल का अंतर'
जागरण संवाददाता, कैथल सिविल सर्जन डॉ. वंदना भाटिया ने शुक्रवार को जिले भर के चिकित्सकों की बैठक बु
जागरण संवाददाता, कैथल
सिविल सर्जन डॉ. वंदना भाटिया ने शुक्रवार को जिले भर के चिकित्सकों की बैठक बुलाई और चिकित्सकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में उन्होंने जच्चा-बच्चा मृत्यु दर कम करने व सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी केसों की संख्या बढ़ाने पर चिकित्सकों को जरूरी हिदायतें दी। बैठक के दौरान एएनएम व जीएनएम को गर्भवती महिलाओं को पहले तीन माह में रजिस्टर करने व उन्हे जागरूक करने के आदेश दिए।
डॉ. वंदना ने कहा कि जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर अधिक होने का मुख्य कारण समय से पूर्व डिलीवरी होना व दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन वर्ष का अंतर न होना पाया गया है। उन्होंने कहा कि जच्चा-बच्चा मृत्यु दर कम करने में सबसे बड़ी जिम्मेदारी एएनएम व जीएनएम पर है, क्योंकि वही गर्भवती महिलाओं के संपर्क में होती है, अगर वे गर्भवती महिला व उसके परिजनों को अच्छी प्रकार से समझा सकें और गर्भवती महिला का स्वास्थ्य ठीक होगा तो अपने आप ही मृत्यु दर में कमी आएगी। आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में रक्तचाप व खून की कमी की शिकायत होती है। अगर उन्हे समय पर इलाज मिले तो उसे ठीक किया जा सकता है। अगर इलाज नहीं मिलेगा तो बच्चा विकलाग भी हो सकता है।
डॉ. वंदना कहा कि कई बार बच्चो के जन्म के बाद भी मृत्यु दर अधिक पाई गई है। इस बारे में भी हमें जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि डिलीवरी के बाद एएनएम को तीन विजिट व आशा वर्कर को छह विजिट एक माह में गर्भवती महिला के घर पर करनी होती है, जो जच्चा-बच्चा दोनों का स्वास्थ्य चैक करती है। इसके अलावा पहले वर्ष में लगने वाले बच्चों का टीकाकरण करना भी जरूरी है। अगर समय पर बच्चों को टीके लग जाएं तो बच्चा विभिन्न बीमारियों से बच सकता है। यह टीके पांच वर्ष तक के बच्चों को लगाए जा सकते हैं।