बॉक्सर रिशु को आश्वासन देकर भूली हरियाणा सरकार
संजीव गुप्ता, कैथल दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद विश्व स्तर पर सुर्खियां बटोर चुकी स्टेट बॉक्सिं
संजीव गुप्ता, कैथल
दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद विश्व स्तर पर सुर्खियां बटोर चुकी स्टेट बॉक्सिंग चैंपियन को अब घरों में झाडू पोछा नहीं करना पड़ता। डाइट भी बेहतर हो गई है। किन्तु न तो उसके लिए घर की व्यवस्था हो पाई है और न ही उसके भाई को डीसी रेट पर कोई नौकरी मिल पाई है। राज्यमंत्री व एम पी द्वारा घोषित धनराशि की भी वह बाट ही जोह रही है।
गौरतलब है कि चार अप्रैल 2015 के अंक में जागरण के मुख्य संस्करण में पेज नं. एक पर प्रमुखता से प्रकाशित खबर 'स्टेट चैंपियन, हाथ में झाड़ू' प्रदेश ही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों तक में चर्चा का विषय बनी थी। खबर में विस्तार से बताया गया था कि किस तरह स्टेट बॉक्सिंग चैंपियन रिशु मित्तल अभावों में जी रही है। राष्ट्रीय खिलाड़ी होने के बावजूद वह घरों में झाड़ू पोंछा करके जीवन यापन करने के लिए मजबूर है। खबर छपने के बाद विदेशों से भी रिशु की मदद को हाथ उठ खड़े हुए थे। प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई थी। कई स्तरों पर अनेक वायदे किए गए किंतु काफी वादे शायद चुनावी बनकर रह गए।
जानकारी के मुताबिक कुछ दानवीर लोगों ने 5100 से 11 हजार रुपये दे रिशु की मदद की तो विधायक रणदीप सुरजेवाला ने एकमुश्त 11 हजार और पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने पांच साल तक प्रतिमाह चार हजार रूपये देने की बात कही। इनकी ओर से घोषित राशि मिल भी रही है। जिला प्रशासन ने रिशु के नाम पर एक लाख रुपये की एफडी करा दी है। खेल मंत्री द्वारा घोषित एक लाख रुपये की राशि भी डीसी आफिस में आ चुकी है।
तमाम आश्वासनों व तीन माह बाद भी न तो रिशु को घर मिल सका है और न ही उसके भाई को डीसी रेट पर कोई नौकरी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण बेदी तथा सांसद राजकुमार सैनी भी रिशु को एक एक लाख रुपये देने की घोषणा करके शायद भूल चुके हैं। इससे बड़ी हैरत की बात और क्या होगी कि जिन लोगों ने रिशु को गोद लेने की बात कही थी, वे भी दूर दूर तक नजर नहीं आते। हर कोई पब्लिसिटी की बहती गंगा में हाथ धोना चाहता था। रिशु कहती है कि जागरण के प्रयासों से उसकी जिंदगी में बहुत सुधार हुआ है। लेकिन उसकी सबसे बड़ी जरूरत छोटे से ही सही मगर अपने मकान की है। आश्वासन तो बहुत मिले किंतु घर नहीं मिला। आज भी हम दोनों भाई- बहनों को एक छोटे से कमरे में रहना पड़ रहा है। भाई को नौकरी भी पता नहीं कब मिलेगी। गोद लेने वालों में से कोई सुध नहीं लेता। मंत्री जी और सांसद भी शायद वायदा करके भूल गए।
उधर जिला खेल अधिकारी सुधीर बेदी ने भी स्वीकार किया कि रिशु के घर, भाई की नौकरी और राज्यमंत्री व एमपी के वायदों के बाबत उनके पास कोई सूचना नहीं है।