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यहीं जन्में, यहीं बूढ़े हो गए पर नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक

संवाद सहयोगी, गुहला चीका : रामथली समाधा गांव के लोग राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य ईश्वर सिं

By Edited By: Published: Sun, 21 Jun 2015 08:52 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2015 08:52 PM (IST)
यहीं जन्में, यहीं बूढ़े हो गए पर नहीं मिला जमीन का मालिकाना हक

संवाद सहयोगी, गुहला चीका : रामथली समाधा गांव के लोग राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह से मिले और उनके द्वारा बोई जा रही डेरा दरबार पुरी की जमीन पर मालिकाना हक दिलाने में मदद करने की गुहार लगाई। गाव वासियों ने कहा कि उनके बड़े बुजुर्ग आजादी के समय यहा आए थे तथा खेती करनी शुरू की थी। वे खुद भी यहीं जन्में, इसी धरती पर खेले कूदे, बड़े हुए और अब बूढ़े हो गए है लेकिन उन्हे आज तक भी इस जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला।

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क्या है मामला

ग्रामीण जरनैल सिंह, शिगारा सिंह, त्रिलोचन सिंह, हरभजन सिंह, गुरप्रताप सिंह, धर्मपाल शर्मा व बुधराम आदि ने बताया कि गाव उरलाना व रामथली समाधा की कुल 1600 एकड़ जमीन डेरा दरबार पुरी के नाम थी। कुछ साल पहले यह जमीन प्रदेश सरकार के नाम चली गई। गाव वालों ने बताया कि इस जमीन के अधिकतर हिस्से पर आजादी के बाद से ही उनके परिवार खेती करते आ रहे है। उन्होंने बताया कि पिछले साल गुहला के तत्कालीन एसडीएम राजेश कुमार प्रजापति ने 375 एकड़ जमीन की डिक्री जमीन पर काबिज किसान परिवारों के नाम कर दी थी। इसके खिलाफ कुछ लोग राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग चले गए और जमीन में अनुसूचित जाति के लोगों को कथित तौर पर हिस्सा ना दिए जाने के आरोप लगाते हुए जमीन की सारी अलाटमेंट रद्द करने की माग कर दी। ग्रामीणों ने कहा कि वे भी चाहते है कि दलित परिवारों को उनका बनता हिस्सा मिले लेकिन उनकी अलाटमेंट बहाल रखी जाए। गाव वाले आज इसी सिलसिले में ईश्वर सिंह से मिले थे ताकि वे आयोग के सदस्य की हैसियत से इस मसले पर उनके साथ रहमदिली से पेश आएं।

जो संभव हुआ करुंगा : ईश्वर सिंह

अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह ने कहा कि किसी भी सरकारी जमीन की आम लोगों में अलाटमेंट के वक्त सबसे पहले अनुसूचित जाति के लोगों को उनका हिस्सा दिया जाना कानूनन जरूरी है इसलिए अलाटमेंट की जो प्रक्रिया पिछले साल अपनाई गई वह गलत है। उन्होंने कहा कि फिर भी वे इस मसले पर जो संभव हो सका किसानों के लिए जरूर करेगे।


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