बचपन से ही संजो रखा था एवरेस्ट फतह का सपना
दयानंद तनेजा, सीवन (कैथल) पर्वतारोही सीमा गोस्वामी का स्कूल के समय से ही सपना था कि वह कुछ ऐसा कर
दयानंद तनेजा, सीवन (कैथल)
पर्वतारोही सीमा गोस्वामी का स्कूल के समय से ही सपना था कि वह कुछ ऐसा कर दिखाए, जिससे उसकी पहचान प्रदेश व देश में अलग हो। कॉलेज के समय में जब पर्वतारोही के लिए सीमा गोस्वामी को चुना गया तो उसके सपने को पंख लग गए। पर्वतारोहण में बेसिक कोर्स उत्तर काशी में सफल रहने के बाद उसने ठान ली कि वह माउट एवरेस्ट की चढ़ाई चढे़गी।
सीमा गोस्वामी ने अपने को मजबूत करने के लिए सुबह शाम की दौड़, जिम,आर्म रेस्लिंग जैसे मुकाबले में हिस्सा लेना आरभ कर दिया। इसमें उसे प्रदेश व देश में अच्छी पहचान मिली, लेकिन उसका सपना माउट एवरेस्ट फतह करना था।
उसे एक बार लमखागा पीक की चढ़ाई करने का अवसर मिला था, जिसे उसने बखूबी पार कर लिया। एक कमी सीमा को खल रही थी कि सपने को पूरा करने के लिए लाखों रुपये की आवश्यकता थी, जिसे उसका गरीब परिवार नहीं दे पा रहा था। उसने एडवास कोर्स के लिए रुपये इकट्ठे किए व 2013 में द्रोपदी का डाण्डा टू पहाड़ी की चढ़ाई के लिए रवाना हो गई।
मौसम के बिगड़ते मिजाज बर्फीले तूफान व बरसात से रास्ते बंद होने के कारण चार दिन तक पैदल चल कर आना पड़ा था। उस समय घर पहुचते उसके पैरों के छाले के कारण कई दिन तक वह चल नहीं सकी, लेकिन मन में कुछ करने का जज्बा व बुलन्द इरादों से उसने अपने सपने को साकार करने का मन बनाया।
वर्ष 2014 में उसे माउट एवरेस्ट की चढ़ाई करनी थी पैसे न होने के कारण उसे मन मसोस कर रहना पड़ा, लेकिन तभी मदद के लिए हाथ आगे भी बढ़े। 11 लाख रुपये मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, 2 लाख रुपये शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा, विश्वामित्र सैनी 51 हजार व अन्य समाज सेवियों की सहायता से उसे आवश्यक राशि दी गई।
31 मार्च को सुबह दादा खेड़ा सीवन में पूजा कर नगर निवासियों व आइजी कॉलेज में उनके स्टाफ व सहेलियों ने उसे गले मिल कर विदा किया था। उस समय उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी। 25 अप्रैल को कुंभ गलेशियर पहाड़ी पर पहुच कर नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप ने उसके सपने को चकनाचूर कर दिया। वह अब काठमांडू से घर आने के लिए के लिए मशक्कत कर रही है। उनके साथ सहायक शेरपा भी उसका साथ छोड़ चुके है।