मंडियों में रिश्वत का खेल सरेआम जारी
जागरण संवाददाता, कैथल : मंडियों में जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बावजूद रिश्वत का धंधा सरेआम चल
जागरण संवाददाता, कैथल :
मंडियों में जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बावजूद रिश्वत का धंधा सरेआम चल रहा है। रिश्वत न देने पर ट्रक चालक मंडियों से उठान न करने की धमकी दे रही है। वहीं रिश्वत जहां यूनियन के पदाधिकारियों से कम तो दूसरे आढ़तियों से ज्यादा वसूली जा रही है। इस कारण आढ़तियों में भारी रोष है। बार-बार जिला प्रशासन से मिलने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। इस समय मंडियों में लाखों क्विंटल गेहूं बोरियों में पड़ा है। वहीं मौसम विज्ञानी बरसात होने की संभावनाएं जता चुके हैं। ऐसे में अब बरसात होती है तो करोड़ों रुपये का गेहूं बरसात की भेंट चढ़ जाएगा।
जिलेभर की मंडियों में उठान की समस्या सीजन के शुरूआत से ही आ रही है। उठान न होने के कारण आढ़ती व किसान परेशान है। इन दिनों मंडी गेहूं की बोरियों से अटी हुई है। उठान की समस्या के कारण किसानों को मजबूरन सड़कों पर खुले आसमान के नीचे गेहूं डालना पड़ रहा है। वहीं रिश्वत न रुक पाने के कारण आढ़तियों में रोष है। आढ़तियों का कहना है कि इस बार सीजन में हम बर्बाद हो गए हैं। उठान को लेकर 10 से 12 रुपये रिश्वत मांगी जा रही है। रिश्वत न देने पर उठान न करने की धमकी दी जा रही है।
वहीं दूसरी और ट्रक मालिकों का कहना है कि रिश्वत को लेकर लगाए जाने वाले आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। आढ़ती स्वयं ही उठान जल्दी के चक्कर में चालकों से रिश्वत दे रहे हैं।
उठान धीमा होने से परेशानी :
पुरानी अनाज मंडी के प्रधान श्याम बहादुर खुरानिया ने बताया कि मंडियों में इस समय उठान धीमा है। उठान धीमा होने के कारण यह दिक्कत आ रही है। मंडियों में इस समय जाम की स्थिति बनी हुई है। यदि बरसात होती है तो किसानों व आढ़तियों को काफी नुकसान होगा।
बरसात होने की संभावना
मौसम विज्ञानी रमेश वर्मा ने बताया कि मौसम में एक बार फिर बदलाव हुआ है। 28 व 29 अप्रैल को बरसात हो सकती है। इस समय होने वाली बरसात से किसानों को काफी नुकसान होगा। क्योंकि मंडियों व खेतों में काफी मात्रा में गेहूं पड़ा हुआ है।
मंडी बोरियों से अटी
सीवन : सीवन अनाज मंडी में लदान धीमा होने के कारण शेड व मंडी के फड़ बोरियों से अटे पड़े है। दूसरी और मौसम विभाग ने चेतावनी दी है 28, 29 अप्रैल को हलकी बरसात होने की संभावना है। अगर लदान समय पर होता है तो अनाज की ढेरिया शेड के नीचे डाली जा सकती है जिससे नुकसान की संभावना कम की जा सकती है। ट्रासपोर्ट के पास वाहनों की कमी के चलते लदान कम हो पा रहा है। मंडी के पूर्व प्रधान कृष्ण गर्ग ने बताया की मंडी में आठ दिन में पूरा माल आने के कारण यह हालत हुई है 50 प्रतिशत लदान हो चुका है। इस बारे में मार्किट कमेटी के सचिव बलवान से जब बात करनी चाही उन्होंने फोन नहीं उठाया।