ड्रेन पुल से बहता पानी ने खोला विभाग का पोल
संवाद सहयोगी, कलायत: जल है तो कल है, जल ही जीवों का जीवन है। जल बचत को लेकर इस प्रकार के संदेश देने
संवाद सहयोगी, कलायत: जल है तो कल है, जल ही जीवों का जीवन है। जल बचत को लेकर इस प्रकार के संदेश देने वाले जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वयं पानी के महत्व को भूले बैठे है। रेलवे रोड पर ड्रेन पुल के नीचे से गुजर रही पेयजल पाइप लाइन से निरतर तेज बहाव के साथ हो रही पानी की भारी लीकेज विभाग की पोल खोल रही है।
पिछले काफी समय से बदस्तूर यह सिलसिला जारी है। नहरी पेयजल परियोजना की निगरानी करने वाले अधिकारी अकसर यहा से गुजरते है। लेकिन पाइप से व्यर्थ बह रहे पानी को रोकने के लिए उन्होने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए। लोगों का कहना है कि वे आवासीय क्षेत्र में पानी की बूंद-बूंद को तरसते है जबकि ड्रेन पुल के साथ कुछ अन्य स्थानों पर अमूल्य जल व्यर्थ में बहता नजर आता है।
साफ है कि रिकार्ड में सब ओके दिखाने वाले अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर छेड़े गए जल संरक्षण अभियान को कमजोर करने में लगे है। समाज सेवी संगठनो का कहना है कि जन स्वास्थ्य विभाग के कंधों पर घर-घर स्वच्छ जल पहुचाने का दायित्व है, लेकिन जिस तरह से लोग पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे है उससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे है।
निसंदेह जिला प्रशासन उपायुक्त की रहनुमाई में पेयजल मुद्दो को लेकर विशेष कार्यक्रम गतिमान किए है, इसके बावजूद भी पानी लीकेज के मामले को गंभीर से नहीं लिया जा रहा है।
डीसी के आदेश
को दिखाया ठेंगा
ऐसा भी नहीं कि यह लापरवाही का मामला अधिकारियों के संज्ञान में नहीं हो। करीब दो वर्ष पूर्व बाढ़ प्रबंधो का जायजा लेने पहुचे डीसी को युवा शिक्षित सुनील जागलान ने मौक पर पूरे मंजर से अवगत करवाया था। इस पर शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी ने जन स्वास्थ्य विभाग को पानी की लीकेज पर फटकार लगाते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए थे। विभाग ने मामले को कितना गंभीरता से लिया है, इसकी मुंह बोलती तस्वीर सबके सामने है।
मामला दर्ज करने की माग
क्षेत्र के समाज सेवी संगठनो ने शुद्ध जल की बजाए लीकेज के माध्यम से आम जन को दूषित जल आपूर्ति करने वाले अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की माग की है। इस संदर्भ में जिला उपायुक्त को संघर्ष समिति ने शिकायत प्रेषित करने का निर्णय लिया है।