नए पैमाने के भेंट चढ़े कई 'योग्य' कार्ड धारक
जागरण संवाददाता, कैथल : भले ही खाद्य आपूर्ति विभाग अपने रिकार्ड को कंप्यूटराइज्ड करने के मामले में
जागरण संवाददाता, कैथल : भले ही खाद्य आपूर्ति विभाग अपने रिकार्ड को कंप्यूटराइज्ड करने के मामले में सुर्खियों में हो लेकिन विभाग की जल्दबाजी उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। विभाग ने हाल ही नए पैमाने के तहत शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के राशन कार्ड धारकों का सर्वे कर उनके नाम हटाए थे। इसे विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही कहें या कुछ और कि इसमें कई योग्य व्यक्तियों के राशन कार्ड भी काट दिए गए। अब उक्त उपभोक्ताओं को अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए बार-बार विभाग के कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। हैरत की बात यह है कि सूची में से नाम हटाए जाने को लेकर अधिकारी भी उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार को खाद्य आपूर्ति कार्यालय पहुंचे सोमबीर और ममता ने बताया कि पता नहीं कि किसी पड़ोसी ने उनकी गलत रिपोर्ट दे दी कि यह उनका अपना मकान है और इस पर विभागीय अधिकारियों ने उनका राशन कार्ड काट दिया जबकि वे किराये के मकान में रहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर तो जनहित की बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर वाहवाही लूट रही है तो वहीं दूसरी ओर आम आदमी को ही योजना से दूर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वे कार्यालय के कई चक्कर लगा चुकी हैं लेकिन अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए जिले में पूर्व में 156359 परिवारों को राशन कार्ड के माध्यम से सरकार की ओर कम दर पर मिलने वाला राशन मुहैया करवाया जा रहा था। बाद में सरकार के आदेशानुसार नया पैमाना आया। इसके अनुसार शहर में रहने वाले जिस व्यक्ति के पास 100 गज का मकान है और उसकी आय का जरिया सही है तो उसे इस योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता जबकि पूर्व में यह शर्त 200 गज तक थी। इसी प्रकार से ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व में पांच एकड़ तक के किसान व अन्य को राशन कार्ड पर सस्ता राशन मुहैया करवाया जा रहा था तो बाद में इसे 2 एकड़ तक सीमित कर दिया गया।
इन नियमों के अनुसार जिले में राशन कार्डो की संख्या 156359 से कम होकर 107131 तक पहुंच गई। भले ही अधिकारी इसे एक अच्छी उपलब्धि मान रहे हैं, लेकिन हकीकत यह भी है कि इसमें कई योग्य व्यक्तियों के नाम भी सही सर्वे न होने के कारण काट दिए गए। अब शहर में किराया पर रहने वाला व मजदूरी करने वाले परिवार को भी यदि सरकार सस्ती दर पर राशन नहीं मुहैया करवा सकती तो जनहित के दावों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी इसका फिर से सर्वे करवाकर कोई महती कदम उठाते हैं या फिर योग्य व्यक्तियों को यूं ही सस्ते राशन से महरूम रहना पड़ेगा।
जांच कर बनवाया जा
सकता है राशन कार्ड :
जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक सुरेंद्र सैनी ने बताया कि विभाग ने सर्वे के आधार पर ही राशन कार्डो को हटाया था। यदि किसी कारणवश किसी योग्य व्यक्ति का नाम हट गया है तो वह विभाग में आवेदन कर फिर से राशन कार्ड बनवा सकता है।