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आशियाना बनाना एक बार फिर हुआ महंगा, ग्राम पंचायतों का बजट बढ़ा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : आशियाना बनाना एक बार फिर महंगा पड़ रहा है। सीमेंट, सरिया

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 01:29 AM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 01:29 AM (IST)
आशियाना बनाना एक बार फिर हुआ महंगा, ग्राम पंचायतों का बजट बढ़ा
आशियाना बनाना एक बार फिर हुआ महंगा, ग्राम पंचायतों का बजट बढ़ा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : आशियाना बनाना एक बार फिर महंगा पड़ रहा है। सीमेंट, सरिया, ईट और रेत-बजरी के दामों में उछाल से आमजन परेशान हैं। एक माह की अवधि में सरिया के रेट में करीब एक हजार रुपये और सीमेंट के प्रति बैग पर 50 से 60 रुपये की तेजी आ गई है। लोगों का कहना है कि पहले कीमतों में गिरावट से काफी राहत महसूस की जा रही थी, लेकिन अचानक आई बढ़ोतरी ने गरीब आदमी को मकान बनाने से पहले एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। सीमेंट और सरिया के दाम बढ़ने से बाजार में भी उथल-पुथल मची हुई है। जिन्होंने माल स्टॉक किया हुआ है, उन्होंने सप्लाई रोक ली है। जिन लोगों से काम की बु¨कग की हुई थी। अब उस काम को करने में नुकसान हो रहा है। उधर, जिन कार्यो के लिए पहले से एस्टिमेट तैयार करा लिया गया है, उन कार्यो का महंगाई बढ़ने से बजट बढ़ गया है।

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इस प्रकार बढ़े रेट

मार्च में सीमेंट 300-320 रुपये प्रति बैग में बिक रहा था, लेकिन करीब एक माह बाद प्रति बैग बढ़कर 340 से 360 तक पहुंच गया। इसी प्रकार सरिया का रेट 3200-3300 से बढ़कर 4100-4200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। दामों में उछाल का कारण दुकानदारों को भी समझ नहीं आ रहा है। हालांकि उनके मुताबिक दाम बढ़ने से सेल पर अधिक असर नहीं है, क्योंकि गेहूं की कटाई का सीजन होने के कारण मकान बनाने वालों की संख्या इन दिनों कम ही है। सीजन खुलने के बाद लोग निर्माण कार्य शुरू करेंगे और परेशानी आनी शुरू हो जाएगी।

ओवरलोड रुकने का पड़ा असर

प्रदेश में ओवरलोड पर अंकुश लगने का असर रेत बजरी के दामों पर भी देखा जा रहा है। खनन खुलने के बाद 2500 रुपये सैकड़ा रेत तीन तीन हजार रुपये सैकड़ा बजरी के रेट चल रहे थे, लेकिन खनन खुलने के बाद राहत मिली और रेत व बजरी के रेट में गिरावट आई। रेत 1500-1800 व बजरी 1800-2000 रुपये पर आ गया। लंबे समय से मकान बनाने का सपना संजोए बैठे लोगों की अब उम्मीद जगी थी कि अब आशियाना बनाना आसान हो जाएगा, लेकिन ओवरलोड पर अंकुश लगने के बाद रेट में एक बार फिर उछाल आया। रेत और बजरी के कारण 600 से 700 रुपये प्रति सैकड़ा बढ़ गए है।

गरीबों पर अधिक असर

रेत-बजरी का काम करने वाले अशोक कुमार और जगमोहन का कहना है कि रेट बढ़ने का असर गरीब और मध्यम वर्ग पर अधिक देखा जा रहा है। आशियाने बनाने से पहले सोचना पड़ रहा है। मोटी पूंजी लगाकर ही मकान का निर्माण कार्य पूरा हो रहा है। सरकार और प्रशासन को बढ़ते निर्माण सामग्री के रेटों पर लगाम लगानी चाहिए है। तभी आम व्यक्ति अपने सपनों का आशियाना बना सकता है। उनका कहना है कि एक माह के अंतराल में ही रेट बढ़े हैं। इससे पहले काफी कम थे।

कारोबारी सुरेंद्र कुमार का कहना है कि सीमेंट और सरिया के रेट क्यों बढ़े हैं, यह हमारी भी समझ से परे हैं। कंपनी के प्रतिनिधियों से इस बारे पूछा भी जाता है, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। अभी तो ग्राहक वैसे भी कम हैं, लेकिन गेहूं कटाई का सीजन बंद होने के बाद असर दिखाई देगा।

..फिर महंगाई का क्या असर

सरपंचों का कहना है कि सरकार की ओर से ग्रांट ही जारी नहीं हो रही है तो विकास कार्यो पर क्या असर पड़ेगा? बाकरपुर के सरपंच प्रवीण कुमार, बरेहड़ी के वासुदेव राणा और फतेहपुर के सरपंच छोटेलाल का कहना है कि ग्राम पंचायतों को विकास कार्यो के लिए न के बराबर ही ग्रांट मिल रही है। गांव में छिटपुट ही कार्य हो रहे हैं, लेकिन जिन कार्यों के लिए पहले से एस्टिमेट तैयार करवा लिया गया है, उन कार्यो का महंगाई बढ़ने से बजट बढ़ गया है।


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