शौचालय न बनाने पर 29 गांवों के 448 लोगों को नोटिस
कर्मपाल गिल, जींद जिले को 31 मार्च से पहले खुले में शौचमुक्त करने पर जिला प्रशासन गंभीर हो गया
कर्मपाल गिल, जींद
जिले को 31 मार्च से पहले खुले में शौचमुक्त करने पर जिला प्रशासन गंभीर हो गया है। अधिकारियों की टीम बनाकर गांवों में लोगों को घरों में शौचालय बनाकर जागरूक किया जा रहा है। जिन लोगों ने अभी तक शौचालय नहीं बनवाए हैं, उन्हें नोटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। जींद ब्लॉक के 29 गांवों के 448 लोगों ने अभी तक शौचालय नहीं बनवाए हैं। प्रशासन ने इन लोगों को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 133 के तहत नोटिस थमा दिए हैं।
जींद जिले में कुल 306 गांव हैं और 301 पंचायत हैं। जिला प्रशासन ने सभी गांवों को खुले में शौचमुक्त करने के लिए अधिकारियों की टीमें बनाई और अलसुबह गांवों में पहुंचकर खुले में शौच जाने वाले लोगों को इसके दुष्प्रभाव बताए। महिलाओं को भी समझाया कि वे परिजनों पर दबाव बनाकर घर में शौचालय बनवाएं। इसका असर यह हुआ कि बीते छह माह में जींद ब्लॉक में करीब 14 हजार शौचालय बन चुके हैं। कई गांवों में तो महिलाओं ने ही खुले में शौच जाने वाले लोगों का डटकर विरोध किया। गांव सिल्लाखेड़ी सहित कई गांवों की महिलाओं ने लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने के लिए ठीकरी पहरा दिया। बावजूद इसके कुछ गांवों में लोगों ने आर्थिक स्थिति अच्छी होते हुए भी शौचालय नहीं बनवाए। ने ऐसे 29 गांवों के 448 लोगों की पहचान करके उन्हें नोटिस थमा दिए हैं। इन नोटिसों में कहा गया है कि वे खुले में शौच जाकर न केवल गांव का वातावरण खराब कर रहे हैं, बल्कि इससे जनसमुदाय में बीमारियों के फैलने का अंदेशा भी है। नोटिस मिलने के बाद करीब 250 लोगों ने बाथरूम बनवाने शुरू भी कर दिए हैं। एसडीएम सतबीर कुंडू कहते हैं कि जो लोग नोटिस मिलने के बावजूद बाथरूम नहीं बनवाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जिले में 100 मोटिवेटर लगाए
जिलेभर में लोगों में खुले में शौचमुक्त के दुष्प्रभाव बताने के लिए 100 मोटिवेटर नियुक्त किए हैं। ये सभी मोटिवेटर वो हैं, जो पीजी की डिग्री लेने के बावजूद बेरोजगार थे। इन्हें सरकार की बेरोजगारी भत्ता स्कीम के तहत नियुक्त किया गया है। इन सभी मोटिवेटरों ने अलसुबह बाहर खेतों में खुले में शौच जाने वाले लोगों को बाथरूम बनाने के लिए समझाया है। इसका असर यह हुआ कि बीते छह माह में ही जींद ब्लॉक में साढ़े 13 हजार घरों में बाथरूम बन चुके हैं। अब मात्र साढ़े चार सौ घरों में बाथरूम नहीं हैं।
अगले हफ्ते होगा वैरिफिकेशन
जिले के जो गांव खुले में शौचमुक्त घोषित हो गए हैं, उनकी जांच के लिए टीमें बनाई गई हैं, जिनमें से ज्यादातर ने रिपोर्ट सौंप दी है। इसके बाद अंतर जिला निरीक्षण टीमों से ओडीएफ गांव की जांच करवाई जाएगी। उम्मीद है कि अगले हफ्ते टीम आएगी। कुछ माह पहले भी फतेहाबाद जिले से टीम आई थी, तब कई जगह लोग खुले में शौच जाते मिले थे। जिले के पूर्ण रूप से ओडीएफ होने पर इसमें सहयोग देने वाले मोटिवेटर, निगरानी कमेटियों और ग्राम सचिवों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।
बदल गई गांव की तस्वीर
प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव में आकर लोगों को खुले में शौच जाने के दुष्प्रभाव बताए। ग्राम पंचायत ने भी लोगों को घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया। दो सामुदायिक शौचालय बनवाए जा रहे हैं, जिनमें 25 सीट होंगी। गांव को खुले में शौचमुक्त घोषित कर दिया है।
सुषमा रानी, सरपंच, संडील
लोगों की सोच बदलने पर जोर
उनका ज्यादा लोगों की सोच बदलने पर है। गांवों में काफी लोग ऐसे हैं, जिनके घरों में बरसों से शौचालय बने हुए हैं, लेकिन उनका प्रयोग केवल महिलाएं करती हैं। जबकि पुरुष बाहर खुले में जाते हैं। यह आदत बदलनी है। काफी हद तक प्रशासन इसमें कामयाब भी हुआ है।
आमना तस्नीम, अतिरिक्त उपायुक्त, जींद