स्वास्थ रहने के लिए रसोई से भगाओ पांच सफेद जहर
जागरण संवाददाता, जींद : जब से हमने अपनी रसोई में पांच सफेद जहर का प्रवेश कराया है, तब से
जागरण संवाददाता, जींद : जब से हमने अपनी रसोई में पांच सफेद जहर का प्रवेश कराया है, तब से हमारा शरीर बीमारियों से घिर गया है। इनमें आयोडीन नमक, पॉलिश किए हुए चावल, मैदा, चीनी और रिफाइंड आयल हैं। ये पांचों सफेद चीजें हमारे शरीर के सबसे बड़े दुश्मन हैं। इन्हें रसोई से बाहर निकाले बगैर हमारा शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता। इनके अलावा फ्रिज और कुकर भी सेहत को बिगाड़ने वाले हैं। परिवार को स्वस्थ रखने के लिए इनसे भी छुटकारा पाना जरूरी है। यह कहना है कि गोविज्ञान मिशन को देशभर में नई पहचान देने वाले डॉ. निरंजन वर्मा का।
आजादी बचाओ आंदोलन के संस्थापक रहे स्व. राजीव दीक्षित के सहयोगी डॉ. वर्मा ने अर्बन एस्टेट स्थित अग्रवाल धर्मशाला में दो दिवसीय पंचगव्य चिकित्सा शिविर के आखिरी दिन कहा कि पांच सफेद जहर के अलावा कुकर और फ्रिज का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि कुकर में सब्जी पकती नहीं बल्कि हवा के दबाव में फट जाती है। फ्रिज की ठंडी चीजें शरीर की दुश्मन हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए ठंडी चीजों को तिलांजली देना बहुत जरूरी है। खाने की चीजें और बचा हुआ आटा फ्रिज में बिलकुल नहीं रखना चाहिए।
हर त्योहार के पीछे विज्ञान
डॉ. वर्मा ने कहा कि हमारे यहां हर त्योहार के पीछे विज्ञान है। सर्दी के तुरंत बाद होली आती है। उस समय हमें दो-तीन दिन सरसों के तेल या गाय के घी के पकवान खूब खाने चाहिए। इससे हड्डियों को लुब्रीकैंट मिल जाता है। दीवाली पर भी इन्हीं पकवान का प्रयोग करना चाहिए।
ब्लड प्रेशर कोई बीमारी नहीं
शिविर में आए लोगों ने डॉ. वर्मा से ब्लड प्रेशर पर व्याख्यान देने को कहा तो उन्होंने कहा कि यह कोई बीमारी ही नहीं है। जब हम ज्यादा ¨चता करते हैं तो बीपी हो जाता है। इसलिए बीपी की शिकायत होने पर घूमने के लिए निकल जाएं। पिकनिक पर चले जाएं। दोस्तों के बैठकर खूब हंसी-मजाक करें। बीपी का समाधान हो जाएगा।
पंचगव्य सिद्ध डॉ. निरंजन वर्मा ने इस तरह बताया इन्हें सफेद जहर
1. आयोडीन नमक से बांझपन बढ़ा
जब से हमारी रसोई से साधारण नमक या सेंधा नमक दूर हुआ है, तब से महिलाओं में बांझपन और पुरुषों में नपुंसकता बढ़ी है। इसलिए हमें आयोडीन नमक की जगह सेंधा नमक प्रयोग करना चाहिए। आयोडीन नमक सेहत के लिए खतरनाक है। 40 साल पहले जब देश में देसी नमक था, तब बांझपन या नपुंसकता नहीं थी।
2. गेहूं से मधुमेह आया
आज से 30-40 साल पहले जौ, बाजरा या चने की रोटियां खाते थे। गेहूं की रोटियां तभी बनती थीं, जब कोई मेहमान आता है। जब से गेहूं की रोटियां खाने लगे हैं, तब से मधुमेह रोग ने पैर फैला लिए हैं। प्रदेश के जिन राज्यों में चावल ज्यादा खाया जाता है, वहां मधुमेह रोगियों की संख्या गेहूं वाले प्रदेशों से बहुत कम है।
3. पॉलिशड चावल से आर्थराइटिस
घरों में हाथों से कूटा हुआ चावल खाते थे, उससे कोई नुकसान नहीं होता था। सेलर मिल में चावल की ऊपर वाली पौष्टिक परत उतारकर ड्रग कंपनियों में भेज दी जाती है। जो चावल बच जाता है, उसे हम खाते हैं। उससे देश में आर्थराइटिस के मरीजों की संख्या में हुई है। इसलिए हमें बिना पालिश वाला चावल खाना चाहिए।
4. मैदा से होती है कब्जी
मैदा शरीर का बहुत बड़ा दुश्मन है। इससे हमारी पाचन शक्ति बिलकुल खत्म हो जाती है। यह आंतों पर चिपक जाता है और पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है। कब्जी सभी बीमारियों की जड़ है। ज्यादा कब्जी होने पर हार्ट अटैक और ब्रेन हैमरेज की शिकायत भी बढ़ जाती है। मैदा से बनी हुई कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए।
5. रिफाइंड आयल से हार्ट अटैक
शरीर के सबसे बड़े दुश्मनों में एक रिफाइंड आयल है। देश में जो लोग रिफाइंड आयल खाते हैं, उन्हें हार्ट अटैक होने की ज्यादा संभावना रहती है। हार्ट अटैक का बड़ा कारण रिफाइंड आयल ही है। सभी उम्र के लोगों को सरसों का तेल और गाय के घी का खूब सेवन करना चाहिए। इससे घुटनों और जोड़ों की बीमारी भी नहीं होगी।