दूसरे दिन सैकड़ों ने उठाया पंचगव्य चिकित्सा का लाभ
जागरण संवाददाता, जींद : अर्बन एस्टेट स्थित अग्रवाल धर्मशाला में लगाए गए निश्शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर
जागरण संवाददाता, जींद : अर्बन एस्टेट स्थित अग्रवाल धर्मशाला में लगाए गए निश्शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर में दूसरे दिन भी सैकड़ों मरीजों में पंचगव्य चिकित्सा का लाभ उठाया। शहर के साथ ही गांवों से भी लोग पंचगव्य का लाभ उठाने के लिए पहुंचे। सुबह गोविज्ञान चिकित्सा और गाय के पांच तत्वों से बनी दवाइयों के फायद के बारे में जाना।
भारत विकास परिषद और मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण की ओर से लगाए गए शिविर में चिकित्सा परामर्श लेने पहुंचे लोगों ने बताया कि उन्होंने सालों से एलोपैथिक दवाइयां खाई हैं, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। जब से गोमूत्र और पंचगव्य का सेवन किया है, उन्हें अद्भुत लाभ हुआ है।
पंचगव्य सिद्धाचार्य डॉ. निरंजन वर्मा ने कहा कि पहले घर-घर में गाय पाली जाती थी, इस कारण घरों में बीमारियां भी बहुत कम आती थी। जब से हमने गाय को घर से दूर किया है, तभी से बीमारिया घर में प्रवेश करने लगी हैं।
डॉ. वर्मा ने इस बात पर खुशी जताई कि अब लोग धीरे-धीरे गाय की ओर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज से 20 साल पहले दक्षिण भारत में दो-ढाई हजार रुपये में दुधारू गाय मिल जाती थी। जब से हमने पंचगव्य के फायदे बताने शुरू किए हैं, तब से गायों की कीमत बढ़कर 20 से 25 हजार रुपये हो गई है। उन्होंने वर्ष 2017 में हरियाणा में लोगों को गोमाता के फायदों के समर्पित किया है। नवंबर में कुरुक्षेत्र में पंचगव्य मेडिकल साइंस कांफ्रेंस बुलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने देसी गाय और अमेरिकन गाय में अंतर बताते हुए कहा कि जिसे हम अमेरिकन गाय कहते हैं, वह सुअर की नस्ल की है। उसे पिगब्रीड काउ कहा जाता है, जिसके दूध को कई देशों में बैन कर दिया है, जबकि हमारी देसी गाय खजाने का भंडार है।
नाड़ी विज्ञान से उपचार
शिविर में भाग लेने हांसी से आए रूप ¨सह आर्य ने कहा कि उन्हें गैस की समस्या थी और बेटे तेजस को भूख नहीं लगती थी। यहां आकर नाड़ी दिखाई और अंगूठों की ¨खचाई कराई। इसके बाद उन्हें एक बार भी गैस पास नहीं हुई। बेटे ने भी जी भरकर खाना खाया है। पहले वह एक रोटी भी नहीं खाता है। पत्नी ज्योति ने भी पंचगव्य की दवाइयां लीं।
पंचगव्य से लाभ की उम्मीद
रोहतक रोड से पहुंची किरण ¨सह ने बताया कि बेटा बीमार है। कई जगह पर डॉक्टरों से चेक कराया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अब पंचगव्य चिकित्सा का लाभ लेने के लिए यहां आई हूं। हमें उम्मीद है कि यहां पंचगव्य चिकित्सा से बेटे को फायदा जरूर होगा। अभी डॉ. निरंजन से बात करेंगे और शाम का व्याख्यान भी सुनेंगे।
घुटनों के दर्द के मरीज आए
पंचगव्य सिद्ध राजेंद्र शर्मा ने बताया कि शिविर के दूसरे दिन जोड़ों और घुटनों के दर्द मरीज ज्यादा संख्या में आए। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि रिफाइंड आयल, मैदा, आरओ का पानी और फिल्टर किया हुआ पानी पीने से घुटनों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। साथ ही लोगों ने घी खाना छोड़ दिया है, जो इसका बड़ा कारण है।
योग के साथ पंचगव्य जरूर लें
योग और एक्सरसाइज के साथ पंचगव्य का भी प्रयोग करना होगा, तभी हम पूर्ण रूप से स्वस्थ हो पाएंगे। पंचगव्य के बिना योग अधूरा है। हमने अपने खान-पान के गाय का घी, छाछ और सरसों के तेल का खूब प्रयोग करना होगा। बिना पंचगव्यों के तो प्राणायाम भी अधूरा है। गाय का घी, छाछ, दूध और गोमूत्र तो अमृत के समान हैं।
भारत विकास परिषद के पदाधिकारी ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि गोपैथी पर आधारित चिकित्सा शिविर का फायदा उठाने के लिए दोनों दिन शहर से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे। लोगों में गोपैथी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए परिषद भविष्य में ऐसे ही शिविरों का आयोजन करेगी। लोगों को दोबारा अपनी जड़ों से जुड़ना होगा और तभी हम स्वस्थ रह पाएंगे।