गीता ज्ञान के साथ आधुनिक व प्राचीन समावेश के होंगे दर्शन
जागरण संवाददाता, जींद : दीवान बालकृष्ण रंगशाला में आज से जिला स्तरीय दूसरा गीता जयंती समारोह
जागरण संवाददाता, जींद : दीवान बालकृष्ण रंगशाला में आज से जिला स्तरीय दूसरा गीता जयंती समारोह शुरू होगा। तीन दिन चलने वाले समारोह में इस बार कुछ अलग कर समारोह में आने वाले लोगों को गीता ज्ञान के अलावा जिले के रामराय, ¨पडारा, हाट, ईक्कस व आसन जैसे गांवों में बिखरी महाभारतकालीन प्राचीन निशानियों के साथ-साथ इनके प्राचीन व आधुनिक स्वरूप को दिखाने तथा नोटबंदी के बाद कैश की कमी झेल रहे लोगों को कैशलेस की तरफ कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की तैयारी है।
लाक्षागृह भी दिखेगा
महाभारत का चौथा द्वार माने जाने वाली जींद के समारोह में लाक्षागृह की प्रस्तुति देकर लोगों को यहां के प्राचीन इतिहास से जोड़ने की कवायद होगी। समारोह में प्रतिदिन हवन का आयोजन कर लोगों को महाभारत के श्लोक सुनाकर अपनी बुराइयों की हवन में आहुति देने की प्रेरणा देते हुए मेहमानों को वापसी में प्रसाद चखाकर अलग अहसास करवाने की तैयारी है। प्रसाद का मिलना या नहीं मिलना काफी हद तक दानी सज्जनों पर निर्भर रहेगा।
विधायक करेंगी शुभारंभ
केंद्र व प्रदेश सरकार की बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ मुहिम को मजबूती देने के लिए समारोह का शुभारंभ जिले की एकमात्र भाजपा विधायक प्रेमलता के हाथों करवाने के अलावा समारोह स्थल पर मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
विरोधियों को भी ज्ञान
प्रदेश सरकार को समर्थन दे चुके निर्दलीय विधायक जसबीर देशवाल को दूसरे दिन का मुख्यातिथि बनाकर समारोह की आड़ में गीता जयंती के आयोजन को राजनीतिक रंग देने वाले विरोधी दलों को गीता ज्ञान के साथ आधुनिक-प्राचीन समावेश के दर्शन करवाए जाएंगे।
नायब की जगह श्याम सिंह
प्रदेश सरकार ने तीन दिवसीय समारोह के कार्यक्रम में बदलाव करते हुए अब उद्घाटन समारोह के मुख्यातिथि बनाए गए खनन मंत्री नायब ¨सह सैनी का नाम हटाकर समापन समारोह के लिए मुख्य संसदीय सचिव श्याम ¨सह राणा को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। समारोह के तीनों दिनों के लिए मुख्यातिथियों का नाम फाइनल करने के बाद सरकार ने 10 लाख रुपये का बजट निर्धारित कर बाकी कार्यक्रम की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर छोड़ दी है। समारोह में स्थानीय कलाकारों के साथ विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की कर्मस्थली रहे वृंदावन की झलक दिखाई जाएंगी। बुधवार को डीसी विनय ¨सह की पत्रकार वार्ता से कुछ इसी प्रकार के संकेत मिले।
इसलिए भी महत्वपूर्ण
मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान दुर्योधन अपने प्राण बचाने के लिए ईक्कस गांव में बने ढुंढु तीर्थ में छुपे थे। पांडवों ने इसी तीर्थ में दुर्योधन का वध किया था। युद्ध की समाप्ति के बाद प्राण गंवाने वाले अपने परिजनों के ¨पडदान करने के लिए पांडवों ने ¨पडारा गांव में 12 साल तक सोमवती आमवस्या का इंतजार किया था। ¨पडारा में अमावस्या के दिन आज भी श्रद्धालु देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में स्नान करने के लिए आते हैं।