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ब्रह्मसरोवर का पुरुषोत्तमपुरा बाग हुआ लोकसंस्कृति सराबोर

जागरण संवाददाता, करुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय गीता जंयती महोत्सव में पुरुषोत्तमपुरा बाग में बुधवार

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 11:44 PM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 11:44 PM (IST)
ब्रह्मसरोवर का पुरुषोत्तमपुरा बाग हुआ लोकसंस्कृति सराबोर

जागरण संवाददाता, करुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय गीता जंयती महोत्सव में पुरुषोत्तमपुरा बाग में बुधवार को शुरु हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जहां राजस्थानी लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही वहीं उड़ी से आए लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से पर्यटकों का खूब मनोरंजन किया।

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प्रात: कालीन सत्र में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ पद्मश्री अवार्डी एनआइटी के निदेशक डॉ. सतीश कुमार ने दीप शिखा प्रज्वलित करके किया। इस मौके पर लाडवा के विधायक डॉ. पवन सैनी, उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक कलां मंच के निदेशक आरएस गिल भी मौजूद थे। दी प्रज्वलन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज राजस्थान के पारम्परिक गीत केसरिया बालमा पधारो म्हारे देश से हुआ। इसके बाद राजस्थानी नृत्यावली भवई का प्रदर्शन हुआ। इस नृत्य में नृत्यांगनाओं द्वारा तलवार व गिलास पर किए गए नृत्य से पर्यटक रोमांचित हो उठे और पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पर्यटकों का मनोरंजन करते हुए अगली प्रस्तुति उड़ीसा के कलाकारों की गोटी पूआ नृत्य थी। इस नृत्य की विशेषता यह है कि इसमें लड़के लड़कियों के भेष में भगवान जगन्नाथ की स्तुति करते हैं। गोटी पूआ नृत्यावली में हिरण्यकश्यप अवतार, द्रोपदी चीर हरण का भी संजीव चित्रण कलाकारों द्वारा किया गया जिसका अभिवादन पर्यटकों ने तालियां बजाकर किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में जैसे ही मणीपुर के कलाकारों ने मणीपुर रास किया और बांसूरी के सूर छेड़े तो फिजा को वृंदामय बना दिया। कान्हा द्वारा राधा संग खेली गई होली को देखकर पंडाल में बैठा हर दर्शक झूमता हुआ दिखाई दिया।

विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं के रंग को बिखेरते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में अगली प्रस्तुति झारखंड के कलाकारों ने छव नृत्य की थी जिसमें कलाकारों ने अपने नृत्य के माध्यम से चक्र व्यूह रचना का पूरा विवरण दर्शाया। पुरुषोत्तमपुरा बाग में मंद-मंद कोहरे के बीच में जैसे ही जम्मू-कश्मीर के कलाकारों ने रूफ नृत्य की प्रस्तुति दी तो पडाल में बैठा हर पर्यटक अपने आपको कश्मीर की वादियों में बैठा हुआ महसूस कर रहा था और करतल ध्वनि से कलाकारों का हौसला बढ़ा रहा था।

असम के कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य बिहू की दी। यह नृत्य असम में किसानों द्वारा फसल पकने पर खुशी का इजहार करते हुए किया जाता है। पंजाब से आए कलाकारों ने मार्शल आर्ट गतका की प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अंतिम प्रस्तुति उत्तर प्रदेश की मयूर नृत्य की थी इस नृत्य में पंडाल में बैठे हर पर्यटक को अपने मोहपाश में बांध लिया।

इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीओ गौरव अंतिल व एसडीएम नरवाना डॉ. किरन ने आए हुए सभी मेहमानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर अंबाला नगर निगम के संयुक्त आयुक्त गगन दीप, नारी सशक्तीकरण मंच की अध्यक्षा दीपांतल, बीजेपी जिलाध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक उस्ताद मुस्तफा खान आदि मौजूद थे।


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