ओलंपिक में क्वालीफाई होने के बाद शुरू होती तैयारी
जागरण संवाददाता, जींद : रियो ओल¨पक में पदक नहीं आने पर खिलाड़ियों को दोष देना गलत है। ह
जागरण संवाददाता, जींद : रियो ओल¨पक में पदक नहीं आने पर खिलाड़ियों को दोष देना गलत है। हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। सरकार मेडल जीतने बाद तो खिलाड़ी को बहुत कुछ देती है, लेकिन उससे पहले शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार कैसे करना है, इसका ख्याल नहीं रखती। सरकार बेस पर ध्यान देती तो कई खिलाड़ी पदक जीतते। ये बातें रियो ओलंपिक खेलकर लौटे कुश्ती पहलवान हरदीप ¨सह ढिल्लो ने दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता आलोक ¨सह से विशेष बातचीत में कही। पेश है साक्षात्कार के मुख्य अंश-
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ओलंपिक में खेलने का कैसा अनुभव रहा?
-रियो ओलंपिक का सफर अच्छा रहा। भले ही पदक नहीं जीत सका, लेकिन बहुत कुछ सीखने को मिला। हालांकि जब हम देश के लिए मेडल नहीं जीत पाते तो बहुत दुख होता है, लेकिन इस बारे में आप कुछ नहीं कर सकते। कई बार मेहनत करने के बाद भी चीजें आपके पक्ष में नहीं जातीं।
आखिर क्या कमी रह गई?
-मैंने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन मेरा दिन नहीं था। देशवासियों की निगाहें मेरी तरफ थी, उसका भी दबाव था। तुर्की के सैंक एल्डम ने मुझसे अच्छा खेला और जीत हासिल की। हमारे देश में ग्राउंड की कमी है। ग्रीको रोमन में क्लाउड ग्राउंड होने चाहिएं, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। हम अखाड़ों में ही अभ्यास करते हैं। 2015 के विश्व चैंपियन भी हार गए। मुझे योगेश्वर दत्त से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन खेल में हार-जीत लगा रहता है।
इस बार पुरुष वर्ग से किसी को सफलता नहीं मिली?
-प्रदेश की बेटी साक्षी मलिक व पीवी ¨सधु पर मुझे भी नाज है, जिन्होंने पदक जीतकर देश की इज्जत बचाई। यह संयोग ही है कि इस बार पुरुष वर्ग से एक पदक नहीं आया।
विजेता देशों व भारत में तैयारी में क्या अंतर है?
-बड़ी बात यह है कि विजेता देशों में युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखते हुए शुरू से ही तैयारी कराई जाती है जबकि हमारे देश में क्वालीफाई होने के बाद खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलती हैं। अगर नए लड़कों पर सरकार ध्यान दे तो हम भी कई पदक जीत सकते हैं। हमारे यहां भी खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। बस जरूरत है तो तराशने की। अगर बेस सही होगा तो अच्छे खिलाड़ी निकलकर आएंगे। इसलिए सरकार से मेरी अपील है कि वह बेस पर ध्यान दे।
सरकार पदक जीतने के बाद धनवर्षा करती है, लेकिन स्टेडियम बदहाल स्थिति में हैं?
-पदक जीतने के बाद मान-सम्मान मिलने पर खिलाड़ियों का मनोबल भी बढ़ता है। लेकिन, बदहाल स्टेडियमों को सही करने की जरूरत है। मैं शुक्रवार को जींद के अर्जुन स्टेडियम में प्रैक्टिस करने गया तो देखा वहां पर पानी भरा हुआ था। ऐसे में अच्छे खिलाड़ी कैसे निकलेंगे। सरकार को मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए।
आगे क्या लक्ष्य है?
रियो ओलंपिक की यादों को भुलाकर अब आगामी चैंपियनशिप में देश के लिए पदक जीतना ही लक्ष्य रहेगा।