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धान व कपास के भाव में गिरावट जारी, किसान परेशान

जागरण न्यूज नेटवर्क, जींद : दो दिन की तेजी के बाद धान के भाव में एक बार फिर से मंदी का साया आ गया है

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:01 AM (IST)
धान व कपास के भाव में गिरावट जारी, किसान परेशान

जागरण न्यूज नेटवर्क, जींद : दो दिन की तेजी के बाद धान के भाव में एक बार फिर से मंदी का साया आ गया है। दो दिन में पांच सौ रुपये तक की गिरावट आ गई है। यही स्थिति कपास की भी है। ऐसे में किसान अपनी फसल नहीं बेच रहे हैं और दाम बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। पिछले एक सप्ताह से बनी उतार चढ़ाव की स्थिति से किसानों में संशय की स्थिति बनी हुई है।

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उचाना : धान के भाव में तेजी आने के बाद अब गिरावट आने का दौर शुरू हो गया है। जिस तेजी से भाव बढ़कर तीन हजार पार पहुंच गए थे, अब उसी तेजी से गिरवाट आने लगी है। सोमवार को 3016 रुपये प्रति ¨क्वटल बिकी धान की 1121 फसल का भाव बुधवार को 2532 रुपये प्रति ¨क्वटल तक रहा। अब किसानों को इस बात का डर होने लगा है कि जैसे भाव कम हो रहे हैं। फिर से धान 1121 फसल 1800 रुपये के आसपास न पहुंच जाए। भाव बढ़ने से जिन किसानों ने धान 1121 की फसल को स्टॉक किया था, उनके चेहरे कुछ दिन खिलने के बाद फिर मुरझाने लगे हैं। किसानों में इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि वो भाव बढ़ने का इंतजार करें या अभी कुछ इंतजार फसल को बेचने के लिए करें। फसल के सीजन से लेकर बीते माह तक भाव 1800 रुपये तक ही 1121 फसल के रहे थे। इस माह की शुरुआत में भाव बढ़ने लगे थे। किसान राजपाल, सुखबीर, गुरुदेव, सतबीर ने कहा कि धान के भाव में बीते सप्ताह तेजी आई थी। सोमवार को तो भाव बढ़कर तीन हजार रुपये प्रति ¨क्वटल से अधिक पहुंच गए थे। तीन हजार तक भाव जाने के बाद किसानों को भाव जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे चार हजार तक जाने की उम्मीद थी। भाव बढ़ने के बाद तेजी से भावों में गिरावट आई। दो दिनों में ही भाव 2500 रुपये के आसपास पहुंच गए हैं। अब भाव में गिरावट आने लगी है। भाव कम होंगे या कुछ दिनों के बाद बढ़ेंगे, इसको लेकर किसान दुविधा में है कि वो धान की 1121 फसल को बेचे या स्टॉक रखे। उन्होंने कहा कि जो किसान पहले अपनी फसल बेच चुके हैं, उनको अब भाव बढ़ने से नुकसान हुआ है। कुछ दिनों के लिए भाव में इतनी तेजी क्यों आई, यह किसानों के साथ-साथ जो मंडी में परचेज करते है, उनकी समझ में नहीं आ रहा है। भाव बढ़ने के बाद एक दम से गिरावट भी हो गई है। ऐसे में किसानों को नुकसान होगा। मार्केट कमेटी सचिव जोगेंद्र ¨सह ने कहा कि धान के भाव तीन हजार पार पहुंचने के बाद अब दो दिनों से कम हो रहे है। उच्च क्वालिटी की धान 1121 फसल 2532 रुपये प्रति ¨क्वटल तक बिकी।

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कपास के भाव में भी आई गिरावट

कपास के भाव में कुछ दिनों से गिरावट आने लगी है। कपास की फसल में आई बीमारी से उत्पादन कम होने के बाद किसानों को फसल के भाव उत्पादन कम होने से पांच हजार तक मिलने की उम्मीद थी। बीते कुछ दिनों भाव 4500 रुपये से भी घटकर 4300 रुपये तक रह रहे हैं। बुधवार को कपास की फसल खुली बोल पर 4349 रुपये प्रति ¨क्वटल बिकी है। सोमवार को भाव 4385, मंगलवार को 4371 रुपये प्रति ¨क्वटल उच्च क्वालिटी की कपास का था। भाव कपास के भी कम होने से किसानों के लिए कपास की फसल इस बार घाटे का सौदा साबित हुई है। शीलू, अजमेर, राजेश ने कहा कि इस बार कपास की फसल में आई बीमारी से प्रति एकड़ कपास का उत्पादन काफी कम है। प्रदेश में आई कपास की फसल में बीमारी के चलते उत्पादन कम होने से भाव पांच हजार रुपये के मिलने की उम्मीद थी। फसल के सीजन से लेकर एक बार भी भाव पांच हजार तक नहीं पहुंचे। बीते कुछ दिनों से तो भाव 4500 रुपये प्रति ¨क्वटल से कम होकर 4300 रुपये के आसपास पहुंच गए हैं। कपास के भाव अगर पांच हजार तक मिल जाते तो किसानों की जो आर्थिक स्थिति फसल के कम उत्पादन से बिगड़ी है, वो कुछ हद तक ठीक हो जाती। इस बार भाव, उत्पादन की मार से किसान को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। छोटे जमींनदारों तो आढ़तियों, बैंकों से लिया गया कर्ज का ब्यॉज तक नहीं चुका सकेंगे।

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उम्मीद हुई धूमिल

अलेवा : अलेवा अनाज मंडी में धान की किस्म बासमती व पूसा 1121 के भाव में पिछले दो दिन से चार सौ रुपये प्रति ¨क्वटल तक की गिरावट आई है। फसल अच्छे भाव मिलने के बाद दो दिन से आई गिरावट के चलते कोई भी किसान कम भाव में धान बेचने को तैयार नहीं है। पिछले दो दिन से व्यापारियों द्वारा धान की खरीद के लिए बोली तो लगाई जा रही है, लेकिन इनके भाव कम होने से किसान धान के भाव में उछाल आने की आस होने के कारण बेचने को तैयार नही है। अनाज मंडी के आढ़ती बिजेंद्र चहल, कर्ण ¨सह, रामदिया, फल्गू, ओमप्रकाश ने बताया कि पिछले दो दिन से भाव में आई चार सौ रुपये प्रति ¨क्वटल तक की गिरावट आई हुई है। धान के भाव में प्रति ¨क्वटल चार सौ रुपये तक की कमी आने के कारण पिछले दो दिन से किसी भी किसान द्वारा एक ढ़ेरी भी नहीं बेची है।


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