महापुरुषों के जीवन का उद्देश्य अपने अनुभव को दूसरों के साथ साझा करना : भारती
संवाद सूत्र, नरवाना : महापुरुषों के जीवन का उद्देश्य कथा-कहानी सुनाना नहीं बल्कि अपने अनुभवों को दूस
संवाद सूत्र, नरवाना : महापुरुषों के जीवन का उद्देश्य कथा-कहानी सुनाना नहीं बल्कि अपने अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करना है। ये कथन स्थानीय अनाज मंडी में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित श्री कृष्ण कथा में साध्वी गरिमा भारती ने कहे।
उन्होंने कहा कि महापुरुष अपने अनुभव के आधार पर बाते कहतें है, जो मनुष्य मात्र को सत्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक व्यक्ति की जुए में धन-संपत्ति सब कुछ चला गया। लेकिन उसने जुआ खेलना नहीं छोड़ा। एक दिन उसने पिताजी ने व्यक्ति को अपने जीवन के अनुभव बताते हुए कहा कि जुआ बड़ी बुरी चीज है, जिसमें आज जीतोगे, तो कल हारोगे। अंत में व्यक्ति ने कहा कि पिताजी आपके कहने का अर्थ मैं समझ गया हूं कि जुआ एक दिन छोड़कर एक दिन खेलना चाहिए। पिता हैरान हुए कि पुत्र ने उनके कथन को मन बुद्धि से लिया है, इसलिए इसको कोई लाभ मिलने वाला नहीं। इसलिए जो भी सीख लो वो अनुभव से लेनी चाहिए, न कि बुद्धि से। उन्होंने श्रीकृष्ण की बचपन की अठखेलियों का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान उसी की नैया पार लगाते हैं, जो उनकी ओर चले आते हैं। जो माया रूपी संसार में फंसे रहते हैं, उनकी नाव मझधार में फंसी रहती है।
सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी की जयंती का भी उन्होंने जिक्र किया और कहा कि गुरु नानक देव जी के जीवन का उद्देश्य भी परिवार का कल्याण करना था। इस मौके पर स्वामी धीरानंद, सुरेश पप्पू, मनोज कुमार, मुकेश, सुरेश कुमार, जयभगवान मित्तल सुभाष, डब्ली गर्ग, जोगेश शर्मा, मोहन लाल मित्तल उपस्थित रहे।