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वेतन रोकने के आदेश, शिक्षकों ने ¨नदा की

जागरण संवाददाता, जींद : हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अध्यापकों

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 06:10 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 06:10 PM (IST)
वेतन रोकने के आदेश, शिक्षकों ने ¨नदा की

जागरण संवाददाता, जींद : हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अध्यापकों के पूरे दाखिले ऑनलाइन न कराने वाले अध्यापकों व स्कूलों के मुखियाओं का वेतन रोकने के आदेशों की कड़ी ¨नदा की

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अध्यापकों एतराज जताया है। जिला प्रधान चांद बहादुर व जिला सचिव वेदपाल रिढ़ाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से विभाग द्वारा अध्यापकों को रोज नए-नए फरमान जारी कर बदनाम करने पर के प्रयासों की कड़ी ¨नदा की है। जिला सचिव वेदपाल रिढ़ाल ने बताया कि शिक्षा विभाग का एकमात्र उद्देश्य सरकारी स्कूलों को जन समुदाय के बीच बदनाम करना ही रह गया है विभाग अध्यापकों व बच्चों के लिए स्कूलों में बेहतर शैक्षिक माहौल देने की जगह मानसिक व आर्थिक परेशानियां खड़ी कर रहा है। पिछले कुछ दिनों से रोज अध्यापकों को चार्जशीट करने के आदेश दिए जा रहे हैं। बच्चों का स्टाइफंड व अध्यापकों का वेतन रोकने के आदेश जारी किए जा रहे हैं। ताजा फरमान में एमआईएस योजना के तहत पूरे दाखिले 31 जुलाई तक आनलाइन न करवाने वाले अध्यापकों का वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिए गए हैं जबकि इस कार्य हेतु अध्यापक छुट्टियों के दौरान भी लगे रहे व अपनी जेब से हजारों रुपये खर्च कर प्राइवेट दुकानों से काम करवाया है। विभाग की ओर से अब तक कोई राशि स्कूलों को उपलब्ध नहीं करवाई गई है। प्राथमिक विद्यालयों में जहां न कम्प्यूटर हैं न इंटरनेट कनेक्शन है, अध्यापकों को इस कार्य हेतु पूर्णता प्राइवेट दुकानों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। विभाग द्वारा हर प्राथमिक स्कूलों को इस कार्य हेतु 2500 रुपये देने के आदेश भी केवल हवाई ही साबित हुए व आज तक किसी भी स्कूल को एक रुपया भी नहीं मिला है। 25 तारीख से अध्यापक मासिक परीक्षाओं में व्यस्त हैं व तुरंत रिजल्ट बनाकर आनलाइन करवाने का दबाव अलग से है, वहां भी रिजल्ट आनलाइन न करवाने पर वेतन रोकने के आदेश जारी हो चुके हैं आखिर अध्यापक करें तो क्या करें।

राज्य कोषाध्यक्ष महताब ¨सह मलिक ने कहा कि इस योजना की कुछ पक्ष ऐसे हैं, जिनको अध्यापक चाहकर भी पूरा नहीं करवा सकता जैसे बैंक में खाता खुलवाना व तहसील में सर्टिफिकेट बनवाना। बैंक में खाता खुलवाने के लिए कागज पूरे करने के बाद भी एक-एक महीने में खाते खुल रहे हैं। तहसील में भी इतना ही टाइम लग रहा है। आधार कार्ड बनवाने के बाद भी महीनों बाद प्रमाण पत्र मिलते हैं। चुनाव नजदीक आने के कारण हजारों अध्यापक वोट बनाने व आधार कार्ड ¨लक करने में लगे हुए हैं। इस कार्य में भी ढील होने पर टीचर्ज पर एफआईआर तक हो चुकी हैं। सीसीइ की मूल्यांकन शीट नहीं भरने वाले अध्यापकों को भी चार्जशीट करने को कहा गया है जबकि जींद जिला के अधिकतर स्कूलों में विभाग द्वारा अभी तक मूल्यांकन शीट ही नहीं भेजी गई हैं। ऐसे में अध्यापक कैसे मूल्यांकन शीट भरेगा। पिछले वर्ष भी अक्टूबर माह में मूल्यांकन शीट उपलब्ध करवाई गई थी। कायदे से ये मूल्यांकन शीट विभाग द्वारा सत्र के आरंभ में ही स्कूलों में पहुंचाई जानी चाहिए थी, क्योंकि इसमें हर माह के अंत में बच्चों का मूल्यांकन भरना होता है। अब तीन महीने बीत जाने पर भी विद्यालयों में विभाग इनको नहीं पहुंचा पाया है और दूसरी ओर अध्यापकों को ही चार्जशीट करने का फरमान जारी कर दिया गया है। जिला प्रेस प्रवक्ता भूप ¨सह वर्मा ने कहा की विभाग अध्यापकों को तरह तरह के गैर शैक्षिक कार्यों में लगाए रखता है जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम कहता है कि टीचर से गैर शैक्षिक कार्य नहीं लिया जा सकता। फिर भी जान-बुझकर अध्यापकों को परेशान किया जा रहा है। अध्यापकों की नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए होती है न की दूसरे कार्यों के लिए। शिक्षा विभाग को अध्यापकों व सरकारी स्कूलों को बदनाम करने से अध्यापकों में रोष पनप रहा है। अगर जल्द ही समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो प्रदेश का अध्यापक आने वाली 23 अगस्त को करनाल में राज्य स्तरीय रैली व दो सितंबर को हड़ताल करके शिक्षा विरोधी नीतियों का मुंहतोड़ जवाब देगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।


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