दैनिक जागरण ने बिछड़े बच्चों को मां से मिलाया
कृष्ण खटकड़, अलेवा बरवाला के सतलोक आश्रम में पुलिस कार्रवाई के दौरान परिजनों से बिछड़े तीन बच्चे
कृष्ण खटकड़, अलेवा
बरवाला के सतलोक आश्रम में पुलिस कार्रवाई के दौरान परिजनों से बिछड़े तीन बच्चे आखिरकार शनिवार को अपनी मां से मिल गए। दैनिक जागरण में फोटो देखकर बेटों ने मांग को पहचान लिया। मां की पहचान होने के बाद बच्चों की मां दोपहर को जींद लघु सचिवालय पहुंची तथा अपने बिछड़े बच्चों को साथ ले गई। दैनिक जागरण ने 22 नवंबर के अंक में मां व पिछड़े बच्चों की फोटो के साथ अलग-अलग समाचार प्रकाशित किये थे। हालांकि पुलिस ने 21 नवंबर को बिछड़े बच्चों की बधाना पहुंचने की सूचना मिलते ही बच्चों की तलाश शुरू कर दी थी, परंतु बच्चों द्वारा सही पता नहीं बता पाने के लिए चलते पुलिस को सफलता नहीं मिल रही थी। 22 नवंबर को दैनिक जागरण में बच्चों के साथ मां की तस्वीर को आधार बनाकर पुलिस ने पहचान के लिए बच्चों को दिखाया। बच्चों ने जैसे ही अखबार में छपे मां के फोटों को देखा तो बच्चों ने मां को पहचानते हुए मां से मिलने की जिद्द शुरू कर दी। मां की पहचान होने के बाद पुलिस ने बच्चों को प्रोडेक्शन अधिकारी मीनाक्षी हुड्डा, व बबीता वर्मा के हवाले कर स्वयं बरवाला का रुख किया। वहां से मां को साथ लेने के बाद जींद लघु सचिवालय में दोपहर करीब 12 बजे तीनों बच्चे उसकी मां बबीता के हवाले कर दिये गए।
समाज सेवी चरण सिंह व सेवादार सुभाष ने दिखाई दरियादली
आश्रम में बिछड़ने के बाद संतलोक आश्रम में मौजूद चरण सिंह व आश्रम के सेवादार सुभाष ने दरियादली दिखाते हुए पुलिस की हर संभव मदद कदम दर कदम पुलिस का सहयोग किया। बधाना में आने के चंद घंटों बाद ही बच्चों सामान्य दिखाई देने लगे थे, हालांकि मां की याद आने पर कभी-कभी बीच में मां के पास भेजने की जिद्द भी करते थे।
बच्चों ने किया धन्यवाद
शनिवार सुबह फोटो के सहारे मां की पहचान के बाद दैनिक जागरण समाचार पत्र के बरवाला व नगूरा प्रतिनिधियों ने बच्चों की मां के साथ बातचीत का रास्ता साफ किया। मां से फोन पर बात होने के बाद बच्चों ने अपनी लड़खड़ाती जुबान से अखबार वाले अंकल तथा पुलिस के साथ-साथ गांव वालों का धन्यवाद किया।
ऐसे बधाना गांव पहुंचे थे बच्चे
बधाना निवासी सुभाष चंद्र सतलोक आश्रम में सेवादार का काम करता था। रामपाल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के सर्च अभियान के दौरान मची भगदड़ के दौरान भीड़ में सुभाष को 11 वर्षीय परमजीत, सात वर्षीय अमरजीत व चार वर्षीय वंदना मिली। तीनों भाई-बहनों को अकेला पाकर सुभाष ने पहले तो आसपास उसके परिजनों की तलाश की, परंतु नहीं मिलने पर तीनों को अपने साथ गांव ले आया। गांव पहुंचने के बाद परमजीत ने अहमदपुर के रहने वाले बताया। बच्चों ने स्कूल के साथ-साथ अपने पिता का नाम बलबीर तथा मां का नाम बबीता बताया। बच्चों का कहना था कि मां बबीता के साथ ही वे आश्रम आए थे। बच्चों का कहना था कि आश्रम में पहुंचने के बाद उन्हे मा से अलग कर दिया गया और मां के बारे में पूछने पर सेवादार उनकी पीटाई करते थे। आश्रम में उनके साथ ही नहीं अन्य बच्चों के साथ भी गंदा व्यवहार करने की बात कही। पुलिस कार्रवाई के दौरान वो आश्रम से बाहर निकले, परंतु मां वहां नहीं मिली।
अब वहां नहीं जाऊंगी
आश्रम में बच्चों से बिछड़ी बरवाला की रहने वाली बबीता ने बताया कि करीब तीन माह पहले ही आश्रम से जुड़े थी। 19 नवंबर को वह किसी काम के चलते आश्रम से बाहर आई थी। इसके बाद पुलिस ने अंदर नहीं जाने दिया और उसे हिसार ले गई। परंतु वहां भी बच्चे नहीं मिले। बबीता के पति बलबीर दिल्ली में सिविल इंजीनियर का काम करते हैं, जबकि बबीता बच्चों के साथ बरवाला में रहती है। बबीता ने कहा शुक्र है भगवान को मुझे मेरे बिछड़े बच्चे मिल गए। अब मैं कभी भी आश्रम में नहीं जाऊंगी। प्रोडेक्शन अधिकारी ने तीनों बच्चे बबीता के हवाले कर दिये।