हर स्तर पर किया जा रहा जुगाड़, बेहतर बिजली आपूर्ति की उम्मीद
जागरण संवाददाता, झज्जर : जुगाड़ शब्द स्वयं में इतना मजबूत है कि इसका इस्तेमाल दिमाग में आते ही लगता ह
जागरण संवाददाता, झज्जर : जुगाड़ शब्द स्वयं में इतना मजबूत है कि इसका इस्तेमाल दिमाग में आते ही लगता है कि काम हो जाएगा। इस का जीवंत उदाहरण देखना हो तो बिजली निगम की ओर से लगाए गए खंभों पर, शहर हो या गांव कहीं भी देखा जा सकता है। यहां कुछ यूं कहे कि जहां भी निगम की व्यवस्था गड़बड़ा सी जाती है वहां तरह तरह के जुगाड़ देखने को मिलते हैं। हालांकि इस तरह से होने वाले प्रयास आमजन की सहूलियत के साथ-साथ व्यवस्था बनाए रखने के लिए उस दौरान तो संजीवनी का काम करते हैं। लेकिन इस बात को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता कि ऐसे प्रयोग किसी की भी जान पर भारी पड़ सकते हैं। यह व्यवस्था कुछ दिन तो जुगाड़ के सहारे चल सकती है, लेकिन लंबे समय तक इसे नहीं चलाया जा सकता है। यहां तो एक बार जैसे तैसे जुगाड़ कर बिजली चल जाए उसके बाद तो आगे से आगे जुगाड़ करके काम चलाया जा रहा है। चाहे वह किसी के लिए भी कितना ही खतरनाक क्यों न हो। यह व्यवस्था आपको कहीं भी दिखाई पड़ जाएगी। चाहे शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र। ऐसी स्थिति में बिजली निगम से बेहतर आपूर्ति की उम्मीद कैसे की जा सकती है। यह व्यवस्था तक है जब बिजली व्यवस्था पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। इतना ही नहीं बार बार आ रहे फाल्ट के कारण बिजली व्यवस्था प्रभावित हो जाती है और फाल्ट की तलाश में ही बिजली कर्मचारियों का काफी समय निकल जाता है। जिसका खामियाजा आम जन को भुगतना पड़ता है।
शहर के कच्चा बेरी रोड पर शिव मंदिर से कुछ आगे टूटे खंभे पर एंगल से जोड़ लगा कर ट्रांसफार्मर रखा गया है। पुराना बस स्टैंड से कुछ आगे मेन रोड पर ओबीसी बैंक के साथ वाली गली में दोनों कोनों पर खंभे लगाकर ऊपर लोहे का फ्रेम लगाया हुआ है। जबकि इनके लोड से खंभे बीच से झुक चुके हैं। इसी प्रकार दिल्ली गेट क्षेत्र में भी इस प्रकार के खंभे लगे हैं। शहर के आर्य नगर में ट्रांसफार्मर पर जुगाड़ कर तारों को रोका गया है। यहां से अक्सर बिजली व्यवस्था प्रभावित रहती है। शहर में अनेक स्थानों पर ऐसी स्थिति बनी हुई है। डावला फीडर के साथ खाजपुर माइनर निकट तो एच पोल पर एक लकड़ी का डंडा दोनों खंभों पर बांध उस पर फ्यूज सिस्टम बनाया गया है। शहर में अधिकांश स्थानों पर इस प्रकार की जुगाड़ व्यवस्था की गई है। पावर ग्रीड से बिजली की 132 केवी की बिजली की लाइन 132 केवी सब स्टेशन तक बिजली पहुंचाती हैं। यहां से 33 केवी की लाइने निकलती हैं और ये लाइनें 33 केवी पावर हाउसों तक बिजली पहुंचाती हैं। यहां से 11 केवी की लाइने लोगों के घरों तक बिजली पहुंचाने वाले ट्रांसफार्मरों तक बिजली पहुंचाती हैं। उसके बाद एलटी लाइनों के माध्यम से थ्री फेस बिजली मीटरों तक पहुंचती है।
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बार-बार हो रही घटनाओं से नहीं ले रहे सबक : बिजली की लाइनों की मरम्मत के दौरान हल्की सी लापरवाही बिजली कर्मचारियों जीवन पर भारी पड़ रही है। चाहे वह किसी भी स्तर पर हो। लापरवाही के कारण कर्मचारी दुघर्टनाओं का शिकार हो जाते हैं। झज्जर जिले में पिछले तीन साल में दो कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। जबकि 13 कर्मचारी करंट की चपेट में आने से घायल हो चुके हैं। मृतकों में एक नियमित व एक डीसी रेट पर काम करने वाले एएलएम शामिल हैं। जबकि घायलों में आठ कर्मचारी नियमित, दो कर्मचारी डीसी रेट पर दो ठेकेदार के पास काम करने वाले व एक अनुबंधित कर्मचारी शामिल हैं। इसके बावजूद भी जुगाड़ व्यवस्था का सहारा लेकर बिजली आपूर्ति को चलाया जा रहा है।
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लाइन बंद करने पर भी लाइनों में दौड़ता है करंट : बिजली निगम के कर्मचारियों का कहना है कि जिन लाइनों के ऊपर से बड़ी लाइनों की क्रा¨सग है। डावला व बाबरा मुख्य रूप से इन फीडरों में शामिल हैं। उन लाइनों में पावर हाउस से लाइन बंद करने के बाद भी कई बार करंट दौड़ता रहता है। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को जान जोखिम में डालते हुए काम करने पर मजबूर होना पड़ता है। जिला में कई फीडर ऐसे हैं, जिन पर कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है।
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जिले की बिजली व्यवस्था की स्थिति :
- पावर हाउस कुल : 35
- 220 केवी : 2
- 132 केवी : 10
- 33 केवी : 23
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बिजली वितरण का शेडयूल :
-शहरी घरेलू क्षेत्र : 24 घंटे
-औद्योगिक क्षेत्र : 24 घंटे
-ग्रामीण घरेलू क्षेत्र : 12 घंटे
-कृषि क्षेत्र : 8 घंटे
-बिजली की खपत : करीब 50 लाख यूनिट
- झज्जर शहर में पावर हाउस : 3
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जहां भी बिजली की लाइनों को लेकर शिकायतें मिल रही हैं उन स्थानों पर काम किया जा रहा है। सुरक्षा की ²ष्टि से हर चीज नियमित होनी चाहिए। चाहे वह बिजली की लाइन हो या फिर ट्रांसफार्मर। अगर इस प्रकार की कहीं कोई परेशानी है तो उसे चैक कर ठीक करवा दिया जाएगा।
-एसके ढुल, कार्यकारी अभियंता, बिजली निगम, झज्जर।