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जागरण संस्कारशाला : स्वयं का महत्व लिंग आधारित

जागरण संवाददाता, झज्जर : आज के युग में लिंग को लेकर सभी भेद समाप्त हो रहे हैं। आज पुरूष हो या महिल

By Edited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 01:00 AM (IST)
जागरण संस्कारशाला : स्वयं का महत्व लिंग आधारित

जागरण संवाददाता, झज्जर :

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आज के युग में लिंग को लेकर सभी भेद समाप्त हो रहे हैं। आज पुरूष हो या महिला कोई भी काम करने में किसी से कम नहीं हैं। ऐसे में हमें किसी भी को लेकर अपने आप को कम नहीं समझना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने महत्व को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए। अपने महत्व के बारे में बच्चों को बचपन से ही ज्ञान कराना चाहिए। चाहे वह पुरूष हो या महिला। लेकिन कई बार व्यक्ति अपने आप का आपस में बांट लेते हैं कि पुरूष यह नहीं कर सकता और महिला यह नहीं कर सकती। ऐसा नहीं होना चाहिए।

-सीमा अहलावत, शिक्षिका, एलए स्कूल, झज्जर।

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अपने आप के महत्व के बारे में जिस इंसान को पूरी जानकारी होगी वह एक सफल इंसान होता है। आज सामाज में लड़का-लड़की को एक समान माना गया है। इस बात में कोई दो राय नहीं की आज लड़कियां लड़कों से बेहतर काम कर रही हैं। ऐसा तभी संभव हुआ है जब इंसान अपने महत्व को समझने लगा है। जब तक इंसान को अपने आप पर विश्वास नहीं होगा और समय के अनुसार अपने आप की अहमियत समझना जरूरी है।

-मुकेश शर्मा, प्राध्यापक, एचडी स्कूल, साल्हावास।

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लड़का लड़की कोई भी आज के जमाने में कम नहीं हैं। केवल अपने महत्व को समझना जरूरी है। पुरूष हो चाहे महिला हर व्यक्ति का समान अधिकार है और समान महत्व। जब तक व्यक्ति को अपने महत्व के बारे में ही ज्ञान नहीं होगा तो वह हर क्षेत्र में पिछड़ता रहेगा और उसे अपने आप के महत्व के बारे में पूरी जानकारी होगी तो वह आगे बढ़ता जाएगा। समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए चाहे बच्चा हो या बड़ा उसके अपने आप पर विश्वास होगा तो आगे बढ़ जाएगा अन्यथा आज के जमाने में पिछड़ जाएगा।

-सागर, छात्र, एलए स्कूल, झज्जर।

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समाज में चाहे पुरूष हो या महिला हर व्यक्ति अपने स्थान पर महत्व रखता है। बच्चों को बचपन से ही माता, पिता व गुरूजन ऐसे संस्कार देने चाहिए कि आने वाले समय में वे अपने महत्व को समझें और भविष्य का सुरक्षित करें हैं। लड़का व लड़की का भेदभाव पूरी तरह से खत्म होने लगा है। किसी भी क्षेत्र में न लड़के कम हैं और न ही लड़कियां। सब अपने स्थान पर अपना महत्व रखते हैं। बच्चे का महत्व अलग होता है और बड़े का महत्व अलग।

-दीप्ति, छात्रा, एचडी स्कूल, साल्हावास।


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