100 बेड का अस्पताल, सुविधाओं के लिए भटक रहे मरीज
जागरण संवाददाता, झज्जर : झज्जर जिले को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के संस्थान
जागरण संवाददाता, झज्जर :
झज्जर जिले को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के संस्थान मिलने से पहचान तो राष्ट्रीय पटल पर मिली है। झज्जर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निकट होने का फायदा तो मिला है। लेकिन अभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर झज्जर पिछड़ा हुआ ही है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जिला बनने से पहले भी तरसना पड़ता था और जिला बनने के करीब 18 साल बाद भी तरसना पड़ता है। जिला मुख्यालय पर स्थित 100 बेड वाला जिला अस्पताल केवल रेफरल सेंटर ही बन कर रह गया है। कोई भी घटना हो जाए या फिर किसी को कोई बीमारी हो जाए तो उन्हें रोहतक पीजीआइ का रास्ता ही दिखा दिया जाता है। सरकार की तरफ से हर वर्ष करोड़ों रुपये स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर खर्च किए जा रहे हैं। योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तरसना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में दवाईयों की कमी भी अखर रही है। वेयर हाउस बनने से पहले स्थिति बेहतर थी, लेकिन वेयर हाउस बनने के बाद दवाईयों की कमी लोगों के सामने परेशानी बन कर खड़ी हो गई है। वहीं स्टाफ नर्सो की दक्षता की भी कमी खल रही है। स्टाफ नर्सो की दक्षता को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ा गतिरोध स्टाफ नर्सो का प्रशिक्षण लेने के बाद उनका दूसरे क्षेत्रों में चला जाना रहा है। आए और गए की स्थिति निरंतर चल रही है। विभाग उनकी दक्षता को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करता है और वे निजी क्षेत्र या फिर दूसरे राज्यों में नौकरी मिलने पर वहां चली जाती हैं।
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खल रही चिकित्सकों की कमी
यहा तैनात चिकित्सकों की संख्या की बात हो तो जिला भर में 11 एसएमओ सहित 180 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। जिलेभर में करीब 115 चिकित्सकों की तैनाती की गई है। जबकि करीब 65 चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े हैं। जिसमें अभी सुधार होने की आवश्यकता है। उनकी मौजूदगी में भी निरतरता बनी रहे इसकी दरकार हमेशा ही बनी रहती है। अधिकांश चिकित्सक सुविधाओं की कमी बता कर सरकार से मकान का किराए के रूप में वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा लेते हैं। मरीजों को सेवाएं मिले या न मिले उन्हें तो अपने घर की सेवाएं मिल ही रही हैं। जिला झज्जर में तीन सामान्य अस्पताल हैं। छह सीएचसी, 22 पीएचसी और 126 सहायक केंद्र हैं। बादली स्थित पीएचसी को छोड़ दे तो सभी स्थानों पर बेहतर भवनों की व्यवस्था हो चुकी है। माछरौली स्थित पीएचसी का बन चुका है। जबकि अन्य स्थान जिसमें दुबलधन, ढाकला, सिलानी, साल्हावास आदि को नए भवन मिले हैं। मातनहेल में 50 बेड के अस्पताल को सीएलपी के सहयोग से तैयार किया जा रहा है।
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एंबुलेंसों की खल रही कमी
आपातकालीन स्थिति में जीवनदायिनी बनने वाली 102 एंबुलेंस की गाड़ियों की कमी के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले के खाते में 24 एंबुलेंस की गाडि़यां हैं। इनमें से 12 गाड़ियां रोड पर चलने लायक हैं। चार कंडम घोषित हो चुकी हैं। जबकि दो गाडि़यां मरम्मत के लिए गई हुई हैं। जिले में करीब दस लाख की आबादी है, तीन शहर व 262 गांव हैं। लेकिन एंबुलेंस सेवाओं के लिए गाड़ियों की कमी खल रही है।
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स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में झज्जर जिले को अनेक राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं तो मिली लेकिन अब तक लोगों को बेहतर इलाज के लिए इधर-उधर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। पिछली सरकार के समय स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए गए लेकिन समय पर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं आज भी नहीं मिल रही हैं। चाहे वह चिकित्सकों की कमी को लेकर हो या फिर दवाईयों की कमी। लोग बेहतर सुविधाओं के लिए जिला बनने से पहले भी तरसते थे और जिला बनने के करीब 18 साल बाद भी तरस रहे हैं। चिकित्सकों कमी के साथ साथ दवाईयों के वितरण में वेयर हाउस सबसे बड़ा गतिरोध बना हुआ है।
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जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति :
जिला : झज्जर
शहर : 3
गांव : 262
कुल जनसंख्या : करीब 10 लाख
शहरी क्षेत्र की जनसंख्या : करीब 2 लाख
ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या : करीब 8 लाख
-कुल अस्पताल : 31
-सामान्य अस्पताल : 3
-सीएचसी : 6
-पीएचसी : 22
-सहायक केंद्र : 126
-एंबुलेंस : 24
-कंडम एंबुलेंस : 4
-जलाई गई एंबुलेंस : 2
-खराब एंबुलेंस : 4
-ठीक एंबुलेंस : 14
-ट्रामा सेंटर : 1
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एंबुलेंसों की मरम्मत करवाई जानी हैं। जबकि छह एंबुलेंस प्रदेश मुख्यालय से आनी हैं। चिकित्सकों की कमी को सरकार के स्तर पर पूरा किया जाना है। जिले में फिलहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्थित ठीक है। दवाईयों की स्थिति भी पहले से बेहतर है।
-डॉ. श्रीराम सिवाच, सिविल सर्जन, झज्जर।