दवाईयों का टोटा, अस्पताल बनें रेफरल सेंटर
जागरण संवाददाता, झज्जर : सरकारी अस्पतालों की स्थापना आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया करान
जागरण संवाददाता, झज्जर :
सरकारी अस्पतालों की स्थापना आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए की गई है लेकिन मरीजों को किस तरह की सुविधा मिल रही है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अस्पताल में जरूरी दवाओं का भी स्टाक ही नहीं है। मरीजों को बाहर से दवाएं लेनी पड़ रही हैं। गर्मी व वर्षा के सीजन में अनेक प्रकार की बीमारियां पैर पसार रही हैं। ऐसे में जिला मुख्यालय पर बना 100 बेड का अस्पताल भी रेफरल सेंटर बन कर रह गया है। मरीजों को छोटी सी बीमारी को लेकर भी रोहतक पीजीआइ का रास्ता दिखा दिया जाता है। अगर अस्पताल की ओपीडी की बात की जाए तो एक हजार मरीजों के आसपास रहती है। सरकारी अस्पतालों में सरकार की तरफ से मरीजों को मुफ्त दवा वितरित करने के लिए 120 प्रकार की दवाओं की सूची स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवाई हुई है। इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। जिसके चलते मरीजों को बाहर की दुकानों से महंगी दवा खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मरीजों को बाहर की दवा न लिखने के लिए प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सक धड़ल्ले से बाहर की दवाई मरीजों के कार्ड पर लिख रहे हैं।
वर्जन
सभी प्रकार की जरूरी दवा आई हुई हैं। जो दवा अस्पताल में नहीं हैं और मरीज को उसकी आवश्कता है तो ही मरीज के कार्ड पर बाहर की दवा लिखी जाती है।
-डा. नरेश गर्ग, एसएमओ, सामान्य अस्पताल, झज्जर।