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आवासीय योजना पर जमीनी विवाद ने पकड़ा तूल

जागरण संवाददाता, बहंादुरगढ़ : गांव आसौदा टोडराण में आवासीय योजना के तहंत करीब 31 साल पहंले अधिग्रहिं

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 08:04 PM (IST)
आवासीय योजना पर जमीनी विवाद ने पकड़ा तूल

जागरण संवाददाता, बहंादुरगढ़ : गांव आसौदा टोडराण में आवासीय योजना के तहंत करीब 31 साल पहंले अधिग्रहिंत जमीन को लेकर छिड़े विवाद ने अब तूल ले लिया है। इस मसले पर आसौदा गाव में सोमवार को 12 गावों की पंचायत हुई। इसमें एक कमेटी का गठन किया गया है। मंगलवार को यह कमेटी एसडीएम से मुलाकात करेगी। सप्ताह भर पहले ही संबंधित जमीन की पैमाइश और इस पर प्लाटिंग को लेकर प्रशासनिक कोशिश की गई थी जो, सिरे नहंीं चढ़ पाई थी।

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आसौदा में हुई इस पंचायत के दौरान कई देर तक चर्चा हुई। बाद में 50 से ज्यादा सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई गई। यह कमेटी इस विवाद को सुलझाने के लिए अगुवा बनेगी। कमेटी सदस्यों का तर्क है कि कानूनी तौर पर तो यह जमीन अब ली ही नही जा सकती। इस मसले पर मंगलवार को एसडीएम से मुलाकात की जाएगी और उनके सामने स्थिति स्पष्ट की जाएगी। पंचायत की अध्यक्षता दलाल 84 खाप के प्रधान भूप सिंह ने की। उनके अलावा आसौदा से दयानंद, सनवीर दलाल, राजपाल आर्य, माडौठी से जयकिशन, टैणी प्रधान, छारा से साहब, जाखौदा से पवन व विक्रम, नया गाव से योगेंद्र, मातन से पप्पू दलाल समेत तमाम गावों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

तीन दशक से चल रहंा हैं विवाद

गांव के बस स्टैंड के पास करीब 21 बीघा जमीन वर्ष 1984 में अधिगृहंीत की गई थी। कुछ लोगों ने तो सरकार से मुआवजा ले लिया मगर अधिकतर परिवारों ने इस अधिग्रहंण को स्वीकार नहंीं किया और मुआवजा न लेकर कानूनी लड़ाई शुरू कर दी। बताते हैं कि पिछले वर्ष हंाईकोर्ट की ओर से इस पर स्टे आर्डर जारी किया गया था और बहंादुरगढ़ के एसडीएम से इस बारे में तीन महंीने के अंदर रिपोर्ट मांगी गई थी। इस पर तत्कालीन एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि संबंधित जमीन का भू मालिकों की ओर से मुआवजा लिया जा चुका हैं और जमीन पर प्रशासन का कब्जा हैं। इसके बाद भू मालिकों को इस रिपोर्ट का पता चला तो उन्हंोंने फिर से एसडीएम को पुनर्विचार और जांच के लिए गुहंार लगाई, मगर इसे खारिज कर दिया गया। इसके पश्चात भू मालिकों ने सीएम विंडो पर शिकायत भी दे रखी हैं। जमीन के मालिक बलबीर सिंहं, जिले सिंहं, रामकरण, मुंशी, राजकरण का कहना है कि कानूनी तौर पर कोई अंतिम फैसला नहंीं हंो जाता तब तक तो इस जमीन को लेकर कोई कदम उठाने का औचित्य हंी नहंीं बनता। ग्रामीणों ने कहंा कि पहंले तो तत्कालीन एसडीएम की ओर से हंाईकोर्ट को रिपोर्ट हंी गलत भेजी गई। उन्हंोंने जो जांच की मौके पर आकर नहंी की गई।


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