दो रेलवे ब्रिज, फिर भी जोखिम में जान
जागरण संवाददाता, बहंादुरगढ़ : शहंर के रेलवे स्टेशन पर दो-दो ब्रिज बनने के बाद भी यात्रियों को जान
जागरण संवाददाता, बहंादुरगढ़ :
शहंर के रेलवे स्टेशन पर दो-दो ब्रिज बनने के बाद भी यात्रियों को जान जोखिम में डालने को मजबूर हंोना पड़ रहंा हैं। वजहं यहं हैं कि एक ब्रिज तो सिर्फ प्लेटफार्म तक सीमित हैं और दूसरे से प्लेटफार्म पर आने का कोई रास्ता नहंीं। ऐसे में रोजाना हंजारों यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहंा हैं।
रेलवे स्टेशन पर एक ब्रिज तो वर्षो पहंले बना था। इससे प्लेटफार्म नंबर एक से दो व तीन पर आया-जाया जा सकता हैं। जबकि दूसरे ब्रिज को बने ज्यादा वक्त नहंीं हुंआ हैं। इससे लाइनपार में आ-जा सकते हैं, मगर प्लेटफार्म पर आने का रास्ता नहंीं। इससे यात्रियों को हंर रोज दिक्कत झेलनी पड़ती हैं और कई बार जान का जोखिम हंोता हैं।
विकट स्थिति में रहंती हैं हंादसे की संभावना :
दरअसल, लाइन पार की तरफ प्लेटफार्म नंबर तीन हैं। इस पर कई बार मालगाडि़यां खड़ी रहंती हैं। इसलिए दिल्ली जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें रोजाना प्लेटफार्म नंबर दो पर हंी पहुंचती हैं। ऐसे में यदि किसी को लाइन पार से प्लेटफार्म नंबर दो या तीन पर आना हैं तो पहंले उसे थाने के सामने से पुल चढ़कर इस पार आना हंोगा। उसके बाद स्टेशनर पर पहुंचकर प्लेटफार्म एक से दूसरा पुल चढ़कर दो नंबर पर पहुंचना हंोता हैं। इससे समय भी ज्यादा लगता हैं और दो-दो पुल चढ़ने हंोते हैं। यदि इमरजेंसी हंो तो दिक्कत बढ़ जाती हैं। इस चक्कर में कई बार यात्री जान का भी जोखिम उठाते हैं और मालगाडि़यों के नीचे से निकलकर प्लेटफार्म पर पहंुंचते हैं। इससे हंादसे का डर रहंता हैं। यात्रियों का कहंना हैं कि यदि दोनों में से एक भी पुल का विस्तार हंो जाए तो यहं समस्या दूर हंो सकती हैं। दैनिक यात्री विकास शर्मा, रामरत्तन, प्रभात रोहिंल्ला, रामकिशन ने बताया कि इस परेशानी को रेलवे की ओर से नहंीं समझा जा रहंा हैं। कुछ बिंदुओं पर तो बहंादुरगढ़ के स्टेशन पर सुधार हंो गया, लेकिन कई मामलों में सुविधाओं की अनदेखी की जा रहंी हैं। कई बार इसको लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया हैं, मगर कोई कार्रवाई नहंीं की जा रहंी हैं।
यहं विभाग का नीतिगत मामला हैं : एसएस
बहंादुरगढ़ रेलवे स्टेशन के अधीक्षक यशपाल सिंहं का कहंना हैं कि रेलवे ब्रिज का विस्तार कब हंोता हैं, यहं विभाग का नीतिगत मसला हैं। यात्री संगठनों की ओर से यदि इस तरहं की लिखित रूप में स्थानीय स्तर पर मांग की जाती हैं तो उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाता हैं।