गधे-घोड़ों के मेले में कम दिख रहे हैं गधे
जागरण संवाददाता, झज्जार : कहने को तो बेरी में लगने वाला मेला गधे घोड़ों का मेला कहलाया जाता है। लेकिन
जागरण संवाददाता, झज्जार : कहने को तो बेरी में लगने वाला मेला गधे घोड़ों का मेला कहलाया जाता है। लेकिन इस दफा यहा बिक्री के लिए आने वाले गधों की संख्या काफी कम दिखाई दे रही है। वैसे तो दो दिनों से चल रहा यह मेला बृहस्पतिवार को अपने पूरे शबाब पर दिखा। बेशक ही दिन के समय में सूर्य देवता अपनी पूरी तपिश के साथ तल्खी दिखा रहे थे। लेकिन इस सबके बावजूद यहा पर अभी तक 700 पशुओं की बिक्री हो चुकी है। उम्मीद है कि यहा शुक्रवार को पहले से अधिक व्यापार हो सकता है। बृहस्पतिवार को यहा मेले में अभी तक सबसे महगी घोड़ी एक लाख 56 हजार रुपये कीमत की बिकी है। इसी कड़ी में एक लाख रुपये की घोड़ी भी एक खरीदार ने खरीदी है। इस मेले में हरियाणा के व्यापारियों के अलावा दूर दराज के क्षेत्र के व्यापारी भी काफी संख्या में पहुचे हुए है।
गौरतलब है कि नवरात्रों के दौरान हर बार की तरह इस बार भी बेरी में गधों व घोड़ों का मेला लगा है। हरियाणा के अलावा अन्य कई प्रदेशों से व्यापारी मेले में पहुचे है। बृहस्पतिवार को शाम तक करीब 700 पशुओं का व्यापार हुआ। बृहस्पतिवार को बेचे गए पशुओं की कीमत 20 से डेढ़ लाख रुपये के बीच रही। जबकि मेले में हजारों की संख्या में व्यापारी पहुचे हुए है। व्यापारियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए सुरक्षा व व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए हुए है।
उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान से भी आए व्यापारी : मेले के दौरान अन्य वर्षाें की की तरह इस बार भी हजारों की संख्या में घोड़े व गधे के मालिक पहुचे हुए है। मेले में मुख्य रुप से हरियाणा के अलावा पंजाब, यूपी, राजस्थान आदि के व्यापारी अपने घोड़ों व खच्चरों को मेले में लेकर आए। शुक्रवार को भी यहा पर अन्य कई प्रदेशों से पशु व्यापारियों के आने की संभावना है।
गर्मी के कारण हो रही परेशानी :
मौसम पिछले कई दिनों से नित नए रुप दिखा रहा है। लेकिन दो दिनों से यहा पर पड़ रही गर्मी मेला में आए व्यापारी हो या पशुपालक सभी को परेशान किए हुए है। बृहस्पतिवार को भी बताते है कि यहा पर एक घोड़ा कथित तौर पर गर्मी के चलते मर गया। जिसे तुरत प्रभाव से वहा से हटवा दिया गया। दिन के समय में पड़ने वाली गर्मी में पानी की दिक्कत काफी महसूस हो रही है। जिसके चलते प्राय: लोगों को खरीद के पानी पर निर्भर रहना पड़ा।